कुकुरझप डैम में होगा मछली पालन, तैयारी जारी

जलाशय मास्की विकास योजना के तहत हो रही पहल, जिला मत्स्य पदाधिकारी ने दी जानकारी

By Prabhat Khabar News Desk | May 18, 2024 10:06 PM

बरहट. मछली पालन को बढ़ावा देने को लेकर मत्स्य विभाग ने जलाशय मास्की विकास योजना के तहत कवायद शुरू कर दी है. इस योजना के तहत बरहट प्रखंड के कुकुरझप डैम के 680 एकड़ में मछली पालन की स्वीकृति मत्स्य विभाग ने दी है. जिला मत्स्य पदाधिकारी राजेश पंडित ने बताया कि इस लेकर मत्स्य विभाग ने पांच साल के लिए डैम की बंदोबस्ती की है. संवेदक के द्वारा डैम के एक हिस्से में केज विधि से रेहु व कतला प्रजाति का 20 लाख मछली का जीरा डाला गया है. तीन लाख रुपये की लागत से एक केज में मछली का उत्पादन किया जायेगा. पूरे पांच साल में 380 केज डाल कर उत्पादन किया जायेगा. अभी शुरुआत में डैम के एक हिस्से में जीरा डाला गया है. इसके बाद पूरे डैम परिसर में जीरा डाला जायेगा. जीरा को तैयार करने व देखभाल करने को लेकर आधा दर्जन मजदूर को भी लगे हुए हैं. मछली पालन के मद्देनजर डैम में दो बोट भी लगाया गया है.

स्थानीय लोगों को मिलेगा रोजगार:

ज्ञात हो कि कुकुरझप डैम बरहट पंचायत में स्थित है, यहां के लोग आज भी जंगल से लकड़ी लाकर अपना जीवन यापन करते हैं. यहां मछली पालन होने से स्थानीय लोगों का एक समूह बनाकर रोजगार दिया जायेगा. अभी एक समूह बनाकर लोगों को रोजगार दिया जा रहा है. मछली पालन से स्थानीय लोगों को रोजी-रोटी का साधन मिलने की आस जगी है.

पर्यटक स्थल के रूप में डैम को किया जायेगा विकसित:

जिला मत्स्य पदाधिकारी राजेश पंडित ने बताया कि प्रकृति की गोद में बसे कुकुरझप डैम के किनारे हिलकोर मारते पानी, बांध के चारों ओर रहे पेड़-पौधे से निकलने वाली हवा मन को शांत कर देती है. मछली पालन में सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो डैम को पर्यटक स्थल के रूप में भी विकसित किया जायेगा. डैम के चारों ओर बिजली आपूर्ति की व्यवस्था भी की जायेगी. बिजली की सुविधा उपलब्ध हो जाने के बाद डैम के किनारे-किनारे पक्की सड़क का निर्माण कराया जायेगा. इसके बाद सड़क के किनारे आकर्षक फूल व पौधे लगाये जायेंगे. पर्यटकों को जलाशय का आनंद लेने के लिए बोट की सुविधा दी जायेगी. राजेश पंडित ने बताया कि बरहट के कुकुरझप डैम में मछली पालन के बढ़ावा देने के लिए केज विधि से मछली पालन करने की स्वीकृति दे दी गयी है. इसे लेकर जोर-शोर से काम चल रहा है. मछली पालन होने से स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सकेगा.

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