बैंक से मिले कर्ज, तो महाजनों से मिलेगी मुक्ति, होगी बचत

बांस के बर्तन बनाकर गुजारा करते हैं मोहली जाति के महादलित

By Prabhat Khabar News Desk | May 26, 2024 9:56 PM

चकाई. प्रखंड के रामचंद्रडीह पंचायत के कोहवारा टांड के महादलित मोहली जाति के लोग आज भी अपने पुश्तैनी धंधे बांस से विभिन्न तरह के बर्तन तैयार कर अपनी जीविका चला रहे हैं. इनके बनाये गये बांस के दोउरा, डाली, सूप, मोनी, पंखा को लोग बड़े शौक से खरीद कर अपने घर में उपयोग करते हैं. इतना ही नहीं छठ जैसे महापर्व में इनके बनाये गये डाली, दोउरा, सूप, मौनी आदि का उपयोग व्रत करने वाले लोग बड़ी श्रद्धा से करते हैं. मान्यता है कि इनके हाथों से निर्मित बांस का बर्तन शुद्ध व उपयोगी होता है. इसलिए पर्व-त्योहार में इसका उपयोग किया जाता है.

नहीं मिल पाती है सरकारी सहायता:

कोहवारा टांड निवासी और बांस के बर्तन बनाकर अपनी जीविका चला रहे राजेश मोहली, बुधन मोहली आदि बताते हैं कि सरकारी स्तर से लोन नहीं मिल पाने के कारण महाजन से कर्ज पर लेकर बांस खरीदते हैं, जिससे बर्तन आदि का निर्माण करते हैं. दिन-रात जी तोड़ मेहनत कर बर्तन बनाते हैं, तो इस धंधे से कमाई होती है, पर कमाई का एक बड़ा हिस्सा महाजन के कर्ज चुकाने में चला जाता है. इसी कारण हम महादलितों की आर्थिक स्थिति अब भी दयनीय है. ऐसा नहीं है कि हम सभी कारीगरों ने सरकारी कर्ज लेने के लिए प्रयास नहीं किया. बैंकों का भी चक्कर लगाया, पर निजी संपत्ति को मोरगेज किये बिना बैंक कर्ज नहीं देता है. अगर बैंक से ऋण के रूप में ही सरकारी सहायता मिल जाती तो रोजी-रोटी आसानी से चल जाती. इसके साथ में कुछ बचत भी कर लेते.

बाजार में बांस के बने बर्तनों की है डिमांड:

बाजारों में बांस से बने बर्तनों की अधिक डिमांड को देखते हुए झाझा, सोनो, बटिया, आदि स्थानों से व्यापारी कोहवरा टांड आकर औने-पौने दामों में बर्तन खरीद कर अच्छी कमाई कर लेते हैं. वहीं बांस से बर्तन बनाने वाले इतनी मेहनत के बावजूद मुश्किल से अपना गुजर बसर कर पाते हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version