मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए संस्थागत प्रसव जरूरी

जिले में मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकार और स्वास्थ्य संगठनों द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 17, 2024 8:54 PM
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जमुई. जिले में मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकार और स्वास्थ्य संगठनों द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है. इसके बावजूद कई ग्रामीण और दूरदराज़ इलाकों में अब भी महिलाएं घर पर ही प्रसव कराने को मजबूर हैं. जिससे मां और शिशु दोनों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरे उत्पन्न हो सकते हैं. जानकारी देते हुए प्रभारी सिविल सर्जन डॉ सैयद नौशाद अहमद ने बताया कि सुरक्षित प्रसव के लिए उचित स्वास्थ्य प्रबंधन बेहद जरूरी है. पीएचसी से लेकर सदर अस्पतालों में सुरक्षित प्रसव के लिए पूरी सुविधा उपलब्ध है. संस्थागत प्रसव के दौरान बेहतर से बेहतर सुविधा देने के लिए स्थानीय स्वास्थ्य विभाग भी पूरी तरह सजग और संकल्पित है. संस्थागत प्रसव को प्राथमिकता देने से ना सिर्फ सुरक्षित प्रसव होगा, बल्कि शिशु-मृत्यु दर में भी कमी आयेगी. इसके लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं ताकि सुरक्षित प्रसव के ऑकड़े में वृद्धि हो सके और मातृ शिशु-मृत्यु दर पर रोकथाम सुनिश्चित हो सके. प्रभारी सिविल सिविल सर्जन डॉ अहमद ने बताया कि संस्थागत प्रसव के कई लाभ हैं. स्वास्थ्य संस्थानों में प्रशिक्षित डॉक्टर, नर्स और दाई उपलब्ध रहती हैं, जो किसी भी आपात स्थिति में तुरंत इलाज प्रदान कर सकती हैं. इसके अलावा, सुरक्षित प्रसव प्रक्रिया के लिए आवश्यक उपकरण और दवाएं भी अस्पतालों में आसानी से उपलब्ध हैं. गर्भावस्था के दौरान जटिलताओं या जोखिम की स्थिति में महिलाओं को त्वरित चिकित्सा सहायता मिलना अत्यंत आवश्यक होता है जो घर पर संभव नहीं है. सुरक्षित प्रसव के लिए सदर अस्पताल सहित प्राथमिक, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं चिन्हित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर्याप्त सुविधा उपलब्ध है.

चलायी जा रही हैं योजनाएं

संस्थागत प्रसव जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण होता है. संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिये प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना बेहद प्रभावी साबित हो रही है. संस्थागत प्रसव कराने पर लाभुकों को सरकार द्वारा जननी बाल सुरक्षा योजना का निर्धारित प्रोत्साहन राशि भुगतान भी किया जाता है. सिविल सर्जन ने बताया कि सुरक्षित प्रसव जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है. प्रसव के दौरान किसी भी तरह की जटिलता व असावधानी के कारण गर्भवती महिला व गर्भस्थ शिशु दोनों की जान को जोखिम होता है. इसलिये संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना स्वास्थ्य विभाग की पहली प्राथमिकताओं में शामिल हैं. इसे लेकर विभिन्न स्तरों पर विभाग द्वारा जरूरी पहल की जा रही है.

गर्भधारण के तत्काल बाद करें फ्रंटलाइन वर्कर से संपर्क

सीएस श्री अहमद ने बताया कि गर्भधारण के प्रथम तिमाही में ही विभागीय स्तर से गर्भवती महिलाओं को चिह्नित करने को लेकर जरूरी पहल की जाती है. इसके प्रति लोगों को जागरूक होने की जरूरत है. गर्भधारण के तत्काल बाद इसकी सूचना संबंधित क्षेत्र की फ्रंटलाइन वर्कर्स यानी आशा व आंगनबाड़ी सेविका को उपलब्ध कराना जरूरी है. इसके माध्यम से गर्भवती महिलाएं उचित आहार से लेकर, यूरिन, रक्तचाप, वजन, एचआईवी, बच्चे की स्थिति के बारे में सभी जरूरी जानकारी प्रसव पूर्व जरूरी जांच के माध्यम से प्राप्त कर सकती हैं. साथ ही जरूरी दवाएं व चिकित्सकीय परामर्श उन्हें नि:शुल्क उपलब्ध करायी जाती है. जो प्रसव संबंधी जटिलता को कम करने के लिहाज से महत्वपूर्ण है, जो गृह प्रसव की स्थिति में संभव नहीं हो पाता है.

विशेषज्ञों की मदद से जटिलताओं का निदान संभव

सदर अस्पताल की महिला चिकित्सक डॉ खुश्बू सिंह ने बताया कि संस्थागत प्रसव में विशेषज्ञ चिकित्सक व प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की देख-रेख में प्रसव संबंधी जटिलताओं का समाधान आसान हो जाता है. प्रसव के दौरान जरूरी जांच, खून की उपलब्धता, जरूरत पड़ने पर बीमार बच्चों का तत्काल इलाज सहित अन्य सुविधा आसानी से उपलब्ध हो पाता है. आधुनिक यंत्र व तकनीक की मदद से किसी तरह की जटिलता का पता समय पर लगाने में मदद मिलती है. इतना ही नहीं संस्थागत प्रसव के बाद विशेषज्ञ स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा नवजात को पहले छह माह तक केवल स्तनपान, स्तनपान की सही विधि, माताओं के लिये आहार संबंधी जरूरतें, बच्चों को गर्म रखने व साफ-सफाई का ध्यान रखने संबंधी जरूरी सलाह दी जाती है. जो जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिहाज से जरूरी है.

संस्थागत प्रसव से मिलती है कई तरह की सुविधाएं

जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम पवन कुमार ने बताया कि प्रसव के लिए गर्भवती महिला को अस्पताल लाने व प्रसव उपरांत उन्हें वापस घर पहुंचाने के लिये नि:शुल्क एंबुलेंस सेवा प्रदान की जाती है. सरकारी अस्पताल में प्रसव के उपरांत जननी सुरक्षा योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र के लाभुकों को 1400 रुपये व शहरी इलाके के लाभुकों को 1000 रुपये प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाता है. प्रसव के तुरंत बाद परिवार नियोजन के स्थायी साधन अपनाने पर लाभुक को 2000 रुपये व प्रसव के सात दिन बाद नियोजन कराने पर 3000 रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में भुगतान का प्रावधान है. इतना ही नहीं नवजात को जन्म के तत्काल बाद टीका की पूरी डोज भी उपलब्ध हो पाती है साथ ही जन्म पंजीकरण भी आसानी से हो पाता है.

संस्थागत प्रसव के क्या-क्या है लाभ

– गर्भवती महिला को अस्पताल लाने व प्रसव उपरांत उन्हें वापस घर पहुंचाने के लिये निशुल्क एंबुलेंस सेवा

– मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने व जच्चा बच्चा के स्वास्थ्य व सेहतमंद जिंदगी के लिये जरूरी

– प्रसूता से नवजात में होने वाले गंभीर संक्रामक रोगों के प्रसार को नियंत्रित करना होता है आसान

– संस्थागत प्रसव के तुरंत बाद नवजात को लगाया जाते हैं सभी जरूरी टीके

– विशेषज्ञों की देखरेख में प्रशिक्षित नर्स द्वारा कराया जाता है प्रसव, किसी तरह की जटिलताओं से बचाव हो पाता है संभव

– लाभुकों को सरकार द्वारा जननी बाल सुरक्षा योजना का निर्धारित प्रोत्साहन राशि भुगतान किये जाने का इंतजाम

– प्रसव के तुरंत बाद परिवार नियोजन के स्थायी साधन का आसान उपाय

– संस्थागत प्रसव में जन्मे नवजात को जन्म के तत्काल बाद टीका की पूरी डोज देकर बीमारी से लड़ने के लिए किया जाता सुरक्षित

– जन्म पंजीकरण के लिये बाद में होने वाली परेशानियों से होता है बचाव

– गंभीर नवजात का इलाज के लिए सदर अस्पताल में एसएनसीयू की सुविधा उपलब्ध

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