जमुई के किसान पिता-पुत्र ने गर्मी में उपजायी धान की फसल
बंगाल से खरीद कर लाया था बीज
जमुई. रोहिणी नक्षत्र निकल जाने के बाद भी अभी तक जिले में बारिश नहीं हुई है. किसान धान का बिचड़ा लगाने के लिए बारिश का इंतजार कर रहे हैं. बारिश के इस लंबे इंतजार के बीच तापमान लगातार 40 से 45 डिग्री के आसपास बना हुआ है. इस गर्मी में जहां पेड़-पौधे सूख रहे हैं. वहीं जमुई के एक किसान ने 45 डिग्री सेल्सियस और चिलचिलाती धूप के बीच धान की फसल उगा ली है. भीषण गर्मी के बीच ही उसने अपने खेत में यह फसल लगायी और वह अब फसल लहलहा रही है और पककर काटने को तैयार है. दरअसल जमुई के जनार्दन सिंह और उनके पुत्र सौरभ कुमार ने अपने खेतों में धान की फसल लगायी है. पिता-पुत्र ने मिलकर अपने 15 कट्ठा खेत में धान की फसल लगायी है. जो पककर पूरी तरह से तैयार है. सौरभ ने बताया कि इसके लिए उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ी. आमतौर पर धान की खेती सितंबर से दिसंबर के बीच की जाती है, जिस दौरान तापमान 23 से 30 डिग्री सेल्सियस तक रहता है, तो वह न्यूनतम तापमान में भी काफी गिरावट आती है और सर्दी का महीना होने के कारण धान की खेती होती है. लेकिन हमने गर्मी के मौसम में धान की खेती कर ली. बताया कि पश्चिम बंगाल से बीज खरीदा और उसे अपने खेतों में लगाया. सौरभ ने बताया कि उन्हें हर तीसरे दिन अपने खेत की सिंचाई करनी पड़ती थी, जिससे धान की फसल बची रह सके. सौरव कुमार ने बताया कि उन्होंने मार्च के महीने में धान का बिचड़ा अपने खेतों में डाला था. फिर इसकी रोपाई की. करीब तीन महीने के बाद उनकी फसल पककर तैयार हो गयी है. सौरभ ने बताया कि पूर्व के जमाने में इस इलाके में गरमा फसल की खेती की जाती थी और किसान एक से अधिक सीजन में धान की खेती करते थे. कालांतर में यह धीरे-धीरे परिवर्तित होता चला गया और गर्मी के महीना में धान की खेती पूरी तरह से बंद हो गयी. तभी मुझे यह विचार आया कि क्यों ना हमें गर्मी के मौसम में धान की खेती करनी चाहिए और उन्होंने 15 कट्ठा में धान की फसल लगायी. सौरव ने बताया कि अब आने वाले सालों में भी वह लगातार धान की खेती करते रहेंगे.
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