Loading election data...

Jamui News : भगवान बुद्ध ने संपूर्ण विश्व को सत्य, त्याग, अहिंसा व मानवता का दिया संदेश

बुद्ध पूर्णिमा पर भगवान बुद्ध को किया नमन

By Prabhat Khabar News Desk | May 23, 2024 8:35 PM

सोनो.

बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर गुरुवार को प्रेम और करुणा के सागर, विश्व शांति के पथ प्रदर्शक, बौद्ध धर्म के प्रणेता भगवान बुद्ध को बुद्धिजीवियों ने स्मरण और नमन किया. भगवान बुद्ध की जयंती के इस पावन अवसर पर लोगों ने उनके जीवन दर्शन पर बातचीत की और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया. बुद्ध पूर्णिमा का महत्व हिंदू और बौद्ध धर्म दोनों के लिए ही बहुत खास माना गया है. वैशाख पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था और इसी दिन इन्हें ज्ञान की भी प्राप्ति हुई थी और फिर 80 वर्ष की आयु में इसी तिथि पर कुशीनगर में इनका महाप्रयाण भी हुआ था इसलिए वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. चुरहेत निवासी शिक्षाविद व समाजसेवी कामदेव सिंह और सोनो निवासी इतिहास के प्रोफेसर डॉ सुबोध कुमार गुप्ता भगवान बुद्ध और बुद्ध पूर्णिमा पर प्रकाश डाला. डॉ सुबोध गुप्ता बताते हैं कि भगवान बुद्ध ने अपनी शिक्षा और ज्ञान से संपूर्ण विश्व को सत्य, त्याग, अहिंसा व मानवता का संदेश दिया. उनके सिद्धांत मानव जाति को निरंतर जनसेवा करने के लिए प्रेरित करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बुद्ध के दर्शन और ज्ञान की अधिक प्रासंगिकता है. विश्व में कुछ ऐसे महापुरुष रहे हैं जिन्होंने अपने जीवन से समस्त मानव जाति को एक नयी राह दिखायी है. उन्हीं में से एक महान विभूति गौतम बुद्ध थे जिन्हें महात्मा बुद्ध के नाम से जाना जाता है. दुनिया को अपने विचारों से नया मार्ग दिखाने वाले महात्मा बुद्ध भारत के एक महान दार्शनिक, समाज सुधारक और बौद्ध धर्म के संस्थापक थे. मानवता इस समय एक गंभीर संकट का सामना कर रही है. जैव आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, अतिवाद और उग्रवाद के खतरे मानवता के विवेक को हिला रहे हैं. प्राचीन काल से मानव जाति ने प्राकृतिक संसाधनों को नियंत्रित करने की क्षमता का निर्माण किया है. इन संसाधनों के उपयोग के प्रति उसके लालच भरे रवैये ने एक असंतुलन पैदा कर दिया है. बुद्ध के आत्मनिरीक्षण और जागृति का तरीका अनिश्चितताओं को कम करने की विधि सिखाता है. आज बुद्ध का स्मरण इसलिए आवश्यक है, क्योंकि उन्होंने अशांत मानवता को मानसिक पवित्रता बहाल करने का मार्ग दिखाया. वहीं कामदेव सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में विश्व को युद्ध की नहीं बुद्ध के उपदेशों की जरूरत है. आज जिस तरह पूरी दुनिया पर युद्ध का साया मंडरा रहा है ऐसी स्थिति में दुनिया को बुद्ध के दिखाए शांति के मार्ग पर चलने की आवश्यकता है. बुद्ध के सिद्धांतों के द्वारा ही विश्व में शांति स्थापित हो सकती है. आज सभी देश हथियार निर्माण पर जोर दे रहा है. युद्ध के हालात सभी देशों में देखे जा रहे हैं. अमन चैन और शांति बीते युग की बात बनती जा रही है. ऐसे में हमें बौद्ध दर्शन का अध्ययन शांति दिला सकता है. उन्होंने कहा कि गौतम सिद्धार्थ को बिहार के बोधगया में आज के दिन ही जब ज्ञान की प्राप्ति हुई थी तब उन्होंने इसी ज्ञान को लोगों के कल्याण हेतु विश्व फैलाने का काम किए. क्षत्रिय राजकुल में जन्म लेकर भी सिद्धार्थ गौतम ने सत्य की खोज के लिए संन्यासी जीवन व्यतीत किया था. गौतम सिद्धार्थ को इसी पूर्णिमा के दिन बिहार के बोधगया में पीपल वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. निरंजना नदी के तट पर 6 वर्ष की कठोर तपस्या के बाद गौतम सिद्धार्थ को ज्ञान की प्राप्ति हुई और वह सिद्धार्थ से बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हो गये. बुद्ध पूर्णिमा हमें सत्य और अहिंसा, शांति और भाईचारा की सीख देता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version