सुहागिनों ने रखा करवा चौथ का व्रत, पति की दीर्घायु का मांगा वरदान

प्रखंड में रविवार को पति की लंबी आयु के लिए महिलाओं ने करवा चौथ व्रत रखा. इस अवसर पर महिलाएं दिनभर निर्जला रह कर देर शाम चंद्र दर्शन करने के उपरांत पारण किया.

By Prabhat Khabar News Desk | October 20, 2024 8:50 PM

फोटो 20 चांद का दीदार करती महिलाएं सुहागिन अलीगंज. प्रखंड में रविवार को पति की लंबी आयु के लिए महिलाओं ने करवा चौथ व्रत रखा. इस अवसर पर महिलाएं दिनभर निर्जला रह कर देर शाम चंद्र दर्शन करने के उपरांत पारण किया. पर्व को लेकर महिलाएं सज-धज कर चंद्रमा निकलने का इंतजार करती हैं. करवा चौथ के अवसर पर महिलाएं विशेष रूप से शृंगार करती हैं, जो उनके सुहाग और समर्पण का प्रतीक होता है. चंद्रमा निकलते ही महिलाएं अपने सुहाग की समृद्धि और दीर्घायु होने की कामना करती हैं और इसके बाद पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत तोड़ती हैं. धार्मिक मान्यता है कि सुहागिन महिलाओं के द्वारा विधिपूर्वक व्रत और पूजा-अर्चना करने से पति को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. विद्वान पंडित नागेंद्र झा बताते हैं कि हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन निर्जल व्रत, गणेश पूजा और चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है. इनके बिना व्रत पूरा नहीं होता है. यह व्रत सुहागिन महिला अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं. व्रत को वैसी युवतियां भी रखती हैं, जिनका विवाह तय हो चुका होता है. चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही पारण करके व्रत पूर्ण माना जाता है. दिनभर निर्जला उपवास रख शाम को किया चांद का दर्शन जमुई जिले भर में सुहागिन महिलाओं ने करवा चौथ का व्रत रखा और पति की दीर्घायु की कामना की. व्रतियों ने रविवार की सुबह व्रत का संकल्प लिया और निर्जला उपवास रखा. देर शाम को चांद के उगने का इंतजार पूरा कर उसका दर्शन किया. परंपरा के अनुसार छलनी से चांद और फिर पति का दीदार कर पति के हाथों जल ग्रहण कर व्रत पूर्ण किया. विधिपूर्वक पूजन और अनुष्ठान कर व्रती महिलाओं ने पति के दीर्घायु की कामना के साथ घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीष प्राप्त किया. महिलाओं ने घरों में एकल पूजन किया तो कई जगहों पर सामूहिक रूप से भी पूजा-अर्चना की. इस मौके पर पतियों ने अपनी पत्नी को उपहार भी प्रदान किये. सुहागिनों ने किया सोलह शृंगार करवा चौथ का पर्व जिले भर में उत्साह और धूम-धाम से मनाया गया. इस क्रम में सुहागिन महिलाएं दुल्हन की तरह सजीं. उन्होंने सोलह शृंगार किया. शहर से लेकर देहात तक पर्व का उत्साह चरम पर रहा. करक चतुर्थी, दशरथ चतुर्थी, संकष्ठी चतुर्थी के नाम से भी जाने जाने वाले इस व्रत की परंपराओं के अनुसार व्रतियों ने करवा माता के साथ मां पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी की पूजा करने का भी विधान पूरा किया. जबकि सभी ने इस क्रम में पूजा और करवा चौथ व्रत की कथा भी सुनी.

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