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बिहार का मिनी शिमला: यहां की कोठियों के किस्से हैं काफी मशहूर, स्वामी विवेकानन्द समेत कई बड़ी हस्तियां करते थे प्रवास

जमुई का सिमुलतला बिहार का मिनी शिमला कहा जाता है. पुराने जमाने में लोगों ने यहां पर अपनी कोठियां भी बना रखी थी. आज भी उन कोठियों के निशान यहां मौजूद हैं और उनकी कई सारी कहानियां प्रचलित हैं. पढ़िये सिमुलतला पर गुलशन कश्यप की यह खास रिपोर्ट...

जमुई जिले का सिमुलतला अपनी खूबसूरती को लेकर जाना जाता है. इसे बिहार का मिनी शिमला के नाम से जानते हैं. यहां की आबोहवा इतनी अच्छी है कि पहले के जमाने में लोग यहां प्रवास करने आते थे. इसका कारण यह था कि लोग यहां आकर स्वास्थ्य लाभ लेते थे. उस जमाने में सिमुलतला में लोगों ने अपनी कोठियां बनवायी हुई थी और यह उन्हीं कोठियों में आकर लोग निवास करते थे. और यही कारण है कि सिमुलतला को कोठियों का किला भी कहते हैं, लेकिन यहां की कोठियों की कई सारी कहानियां भी हैं. एक वक्त में यहां स्वामी विवेकानंद भी रह चुके हैं.

हांटेड प्लेस के नाम से चर्चित है यहां का दुलारी भवन

घूमने-फिरने के लिए लोग आजकल हांटेड प्लेस में जाना पसंद करने लगे हैं. राजस्थान के भानगढ़ के किला से लेकर देश के कई ऐसी जगह हैं जो हांटेड कही जाती हैं, और यहां बड़ी संख्या में लोग घूमने आते हैं. जमुई के सिमुलतला में भी एक ऐसा ही भवन है जो इंटरनेट पर हांटेड हाउस के नाम से जाना जाता है. यहां दीवार पर उल्टे पैरों के निशान है और लोगों का दावा है कि शाम होते ही यहां से रोने-चीखने की आवाज आती हैं. हलांकि इस सब में कितनी सच्चाई है हम इसकी पुष्टि तो नहीं कर रहे, पर यहां के ग्रामीण इलाकों में इसकी कहानी सुनाई जाती है और शाम होने के बाद लोगों को यहां पर जाने की भी मनाही होती है.

बिहार के इस शहर को कहते हैं कोठियों का शहर

जमुई जिले का सिमुलतला अपने प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है यहां कई सारी कोठियां और किला है, इस कारण इसे बिहार के कोठियों का शहर भी कहा जाता है. यहां की मनोरम आवोहवा से प्रभावित होकर बंगाल से लेकर बांग्लादेश व कई अलग-अलग देश के लोगों ने अपना किला बनवाया हुआ था जो आज भी है. सिमुलतला स्थित नालडोंगा हाउस, रामकृष्ण मठ, सेनबाड़ी, पाल विला, तारा मठ, मुखर्जी विला, डीएन सरकार का किला सहित कई ऐसी हवेली है जो दिखाती है कि किस प्रकार से यहां बड़े-बड़े लोगों का आगमन होता रहता था.

सिमुलतला में ही बनने वाला था बेलूर मठ

सिमुलतला के सौंदर्य से प्रभावित होकर स्वामी विवेकानंद भी यहां लंबे समय तक प्रवास किये थे. स्वामी विवेकानंद वर्ष 1887 और वर्ष 1889 में सिमुलतला आये थे और उन्होंने यहां प्रवास किया था. उन्होंने कहा था कि सिमुलतला की जलवायु बेहतर जलवायु में से है और यही वजह कि स्वामी जी सिमुलतला में ही बेलूर मठ की स्थापना भी करना चाहते थे. इसकी पूरी तैयारी भी हो गयी थी.

लेकिन उस वक्त सिमुलतला में आवागमन करना इतना सुगम नहीं था और जंगली क्षेत्र होने के कारण यहां हिंसक जीव का भी खतरा लगा रहता था. इसी कारण कोलकाता में बेलूर मठ की स्थापना की गयी. हालांकि स्वामी विवेकानंद के इस प्रयास को बेलूर मठ के प्रथम अध्यक्ष ब्रह्मानंद महाराज ने साकार करने का प्रयास किया और वर्ष 1919 में यहां रामकृष्ण मठ की स्थापना की गयी थी, जो आज भी यहां मौजूद है.

कोठियों में आज भी कर सकते हैं निवास

सिमुलतला में जो पुरानी कोठियां थीं, उनमें कई को आज भी जिंदा रखा गया है. इन कोठियों को रंग-रोगन और मरम्मत कर उन्हें होटल में तब्दील कर दिया गया है. जहां आज भी लोग रह सकते हैं. अगर आप सिमुलतला में घूमने का विचार कर रहे हैं तो यहां की कोठियां में रुकने का मजा उठा सकते हैं और इसके लिए आपको काफी कम पैसे भी खर्च करने पड़ेंगे. स्थानिक लोगों की मानें तो इन सभी कोठियों को लेकर उन्हें पहले से ही कांटेक्ट करना पड़ेगा.

सिपाहियों ने ही कर दी थी यहां के राजा की हत्या

सिमुलतला में प्रसिद्ध नालडैंगा हाउस आज भी स्थित है. हालांकि वह जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है. यह हाउस बांग्लादेश के नाल-डोंगा समाज के राजा का निवास स्थान हुआ करता था. इस किला के बारे में भी यहां काफी कहानियां प्रचलित है. बताया जाता है कि सिपाहियों ने ही अपने राजा की हत्या कर दी थी.

दरअसल उस वक्त राजा को अपनी सुरक्षा की इतनी चिंता थी कि उन्होंने अपने सिपाहियों को यह कह रखा था कि अगर तीन आवाज देने के बाद भी कमरे के भीतर से राजा कोई जवाब नहीं दें, तो गोली मार दी जाए. एक दिन राजा लघुशंका कर रहे थे और सिपाहियों ने उन्हें आवाज लगायी. तीन आवाज देने के बाद भी जब उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया, तो सिपाहियों ने राजा की गोली मारकर हत्या कर दी थी. बताया जाता है कि इस नालडैंगा हाउस में 100 कमरे और 100 दरवाजा हुए करते थे.

कैसे पहुंच सकते हैं सिमुलतला

सिमुलतला पहुंचने के लिए कई अलग-अलग मार्ग हैं. अगर किसी भी एयरपोर्ट से आ रहे हैं तो सबसे नजदीकी एयरपोर्ट देवघर में है, जहां आप उतरकर ट्रेन या सड़क मार्ग से सिमुलतला पहुंच सकते हैं. आप चाहे तो पटना एयरपोर्ट से भी उतरकर ट्रेन के रास्ते या सड़क मार्ग से सिमुलतला पहुंच सकते हैं. पटना से ट्रेन के रास्ते आपको सिमुलतला रेलवे स्टेशन जाना पड़ेगा, जहां उतरकर आप सिमुलतला जा सकते हैं और इसकी दूरी करीब 200 किलोमीटर के आसपास होगी.

वहीं सड़क मार्ग से भी सिमुलतला की दूरी पटना से करीब 200 किलोमीटर के आसपास है. पटना से जमुई के रास्ते झाझा होते हुए आपसे सिमुलतला पहुंच सकते हैं. वहीं अगर आप देवघर पहुंचे हैं तो देवघर से जसीडीह से करीब 20 मिनट की दूरी पर सिमुलतला रेलवे स्टेशन पड़ता है. वहीं अगर आप सड़क मार्ग से आना चाहें तो 38 किलोमीटर का सफर तय करके आप देवघर से सिमुलतला पहुंच सकते हैं.

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