झाझा. करीब दो-ढाई वर्षों के बाद जब नरगंजो व आदिवासी टोला के घरों व सड़कों पर बिजली के बल्ब से रोशनी आयी, तो ग्रामीणों की आंखें चमक उठीं. इस चमक में एक उम्मीद थी, जो असुरक्षा के भाव को परास्त करते हुए प्रगति के मार्ग को प्रशस्त कर रही थी. चारों ओर हर्ष का वातावरण था. क्या बच्चे, क्या बुजुर्ग सभी प्रसन्न थे. ऐसा लग रहा था कि वे अपनी सरल मुस्कान से बल्ब के प्रकाश की आरती उतार रहे हों. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कार्यकर्ता कार्तिक कुसुम ने बताया कि ग्रामीणों ने हस्ताक्षरयुक्त आवेदन सहायक विद्युत अभियंता व उच्च अधिकारी को भेजा था. इसमें जर्जर तारों के कारण गांव में विद्युत रहने नहीं रहने की बात कही गयी थी. विभाग ने गंभीरता से लेते हुए पूर्ण विद्युतीकरण कर दिया. छात्र नेता सूरज बरनवाल ने कहा कि यहां केवल बिजली की समस्या नहीं थी, बल्कि ग्रामीण की सुरक्षा व उनके बच्चों के भविष्य का प्रश्न था. विभाग ने ग्रामीणों की मांगों को गंभीरता से लिया और कार्य शुरू कराया. गांव में बिजली आने से ग्रामीण दिनेश कुमार, मदन राणा, मुन्ना राणा, मनोज कुमार, रामसेवक राणा, गुड्डू सोरेन, सुंदर राणा, मीना देवी, शांति देवी समेत दर्जनों लोगों ने विद्युत विभाग व अभाविप के सदस्यों को साधुवाद दिया है.
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