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Jamui news : चरकापत्थर के जंगली इलाके में कहीं फिर से पैर जमाने की फिराक में तो नहीं हैं नक्सली ?

Jamui news : नक्सलियों के लिए सेफ जोन चरकापत्थर का जंगली व पहाड़ का इलाका बड़ी मशक्कत के बाद उनके चंगुल से मुक्त हुआ है.

By Sharat Chandra Tripathi | September 20, 2024 10:47 PM

Jamui news : इस वर्ष के जनवरी से लेकर सितंबर तक के नौ माह के सफर में चरकापत्थर और इससे सटे जंगल में नक्सलियों की तीन बड़ी योजनाओं को सुरक्षाबलों और पुलिस ने असफल किया. पर, इन घटनाओं से यह संकेत मिलता है कि नक्सली इस इलाके में फिर से पैर जमाने की कोशिश में हैं और असफलता हाथ लगने के बावजूद लगातार प्रयास कर रहे हैं. यह बात जमुई पुलिस व सुरक्षा तंत्र भी समझ रहा है. लिहाजा क्षेत्र में फिर से सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया है. इसी का परिणाम है कि पशु अंगों की तस्करी का खुलासा करते हुए एसएसबी ने वन विभाग व पुलिस के साथ कार्रवाई कर 17 सितंबर को हिरण के चार सींग और देसी राइफल को बरामद किया.

नक्सलियों का सेफ जोन रहा है चरकापत्थर

नक्सलियों के लिए सेफ जोन और सर्वाधिक पसंदीदा क्षेत्र चरकापत्थर का जंगली व पहाड़ का इलाका बड़ी मशक्कत के बाद उनके चंगुल से मुक्त हुआ है. तकरीबन डेढ़ दशक तक नक्सलियों का इस जंगली और इससे सटे इलाके पर कब्जा रहा. इस बीच नक्सलियों ने यहां रहते हुए कई बड़ी नक्सली घटनाओं को अंजाम दिया. वर्ष 2005 के बाद से पूरे इलाके में नक्सलियों भय था. यहां तक कि चरकापत्थर थाने को भी एक समय में सोनो में शिफ्ट करना पड़ा था. यहां विकास की गति ठप थी. ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं का भटकाव हो रहा था. ऐसे में बड़ी मुश्किल से सरकार ने पुलिस, एसएसबी और सीआरपीएफ की कंपनियों काे कैंप करवाकर स्थिति को काबू में किया और क्षेत्र को नक्सलियों के आतंक से मुक्त कराया.

कई ने सरेंडर किया, तो कई मारे गये

अब नक्सल संगठन यहां बैकफुट पर है. उनके कई अहम एरिया कमांडर या तो गिरफ्तार हुए या मारे गये. कुछ ने सरेंडर कर दिया, तो कुछ बचे दो-तीन शीर्ष नक्सली सुरक्षा बलों व पुलिस के दबाव के कारण शांत हैं. पर, यहां की भौगोलिक स्थिति और जंगल की सीमा बिहार-झारखंड से सटी होने के कारण नक्सली इस क्षेत्र में फिर से अपने पैर जमाने की फिराक में हैं. चरकापत्थर स्थित एसएसबी 16 वीं वाहिनी सी समवाय के सहायक कमांडेंट अभिनव तोमर ने कहा कि इस इलाके से नक्सलियों के लगभग सफाया होने के बाद नक्सल संगठन इस क्षेत्र में नये सिरे से पनपने का प्रयास कर सकते हैं. पर, एसएसबी सजग और मुस्तैद है. इसी का परिणाम था कि सड़क के नीचे आईईडी लगाने के फौरन बाद ही उसे निष्क्रिय कर नक्सलियों की योजना को असफल कर दिया गया. नक्सलियों का मंसूबा पूरा नहीं होने दिया जाएगा. कई दिनों से इलाके में संदिग्ध गतिविधियों की सूचना मिल रही थी. इसके बाद ऑपरेशन किया गया था. आगे भी क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन लगातार जारी रहेगा.

जनवरी में बरामद हुआ था हथियारों का जखीरा

इस वर्ष 3-4 जनवरी की की रात चरकापत्थर व चकाई थाना क्षेत्र की सीमा पर तेतरिया के जंगली इलाके में नक्सलियों के शीर्ष नेतृत्व के जमावड़े व बैठक की सूचना पर जब सुरक्षा बल, चरकापत्थर और चकाई पुलिस ने ऑपरेशन चलाया, तब तेतरिया के जंगल से हथियारों का जखीरा बरामद हुआ था. नक्सली तो भाग गये, लेकिन बरामद लगभग आधा दर्जन मास्केट, डेटोनेटर व कारतूस से स्पष्ट था कि बड़ी घटना को अंजाम देने की योजना को लेकर नक्सली बैठक कर रहे थे. उसे सुरक्षा बलों ने असफल कर दिया था.

अप्रैल में दो केन बम किया था बरामद

इसी वर्ष 14 अप्रैल को दूसरी बड़ी बरामदगी हुई, जब चरकापत्थर थाना क्षेत्र के जंगली सीमा से सटे चिहरा थाना क्षेत्र के करमाचातर जंगल से एसएसबी व पुलिस ने छिपाकर रखे गये दो केन बम को बरामद किया था. तत्कालीन सहायक कमांडेंट ने स्थानीय पुलिस की मदद से ऑपरेशन को अंजाम दिया था. ये बम संभवतः चुनाव या अन्य किसी विशेष आयोजन पर विस्फोट करने की योजना से छिपाकर रखे गये था, जिसे सुरक्षाबलों ने विस्फोट कर डिफ्यूज किया था.

सड़क के नीचे छिपाकर रखे थे दो केन बम

इसी माह 15 सितंबर को चरकापत्थर के पानीचुआं गांव के समीप एक निर्माणाधीन सड़क के नीचे छिपाकर दो केन बम रखे हुए थे. एसएसबी सी समवाय के सहायक कमांडेंट अभिनव तोमर के नेतृत्व में सुरक्षा बलों ने समय रहते उसे खोज निकाला और बम निरोधक टीम ने केन में रखी आईईडी को विस्फोट कराकर डिफ्यूज कर दिया था. आशंका जतायी गयी कि जब सड़क का पक्कीकरण हो जाता और उससे सुरक्षा बल या पुलिस के वाहन गुजरते तब नक्सली सड़क के नीचे प्लांट किये गये बम में विस्फोट कराकर बड़ी क्षति करते, पर उनके मंसूबे पर सुरक्षा बलों ने पानी फेर दिया.

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