सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाके के लोगों को मिलेगी समुचित स्वास्थ्य सेवा
चांय व दादपुर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का उद्घाटन
झाझा. प्रखंड क्षेत्र के चांय व दादपुर स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का रविवार को रेफरल अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ अरुण कुमार सिंह, स्वास्थ्य प्रबंधक सुभाषचंद्र, अस्पताल प्रबंधक नवनीत कुमार, यूनिसेफ की शिवानी कुमारी ने संयुक्त रूप से उद्घाटन किया. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सिंह ने बताया कि सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत जच्चा-बच्चा टीकाकरण, प्रसव पूर्व जांच आदि उक्त दोनों सेंटर पर सप्ताह में सोमवार, मंगलवार और गुरुवार को की जाएगी. उक्त सेंटर में एएनएम, सीएचओ व अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहेंगे. चिकित्सा प्रभारी ने बताया कि सुदूरवर्ती इलाकों से गर्भवती महिलाओं को अपनी स्वास्थ्य जांच करवाने या फिर जन्म के बाद बच्चों को पड़ने वाला टीका लगवाने के लिए रेफरल अस्पताल आना पड़ता था. अब इन क्षेत्रों के ग्रामीण महिलाओं को लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी. चिकित्सा पदाधिकारी ने ऐसे क्षेत्र के आम लोगों से अपील करते हुए कहा कि किसी भी तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने पर अपने वेलनेस सेंटर पर आकर समुचित इलाज कराएं. सरकार कई तरह की सुविधा प्रदान कर रही है.
बरहट प्रखंड में खुला आयुर्वेद अस्पताल
बरहट. सरकार ने आयुर्वेद चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए अपनी कवायद तेज कर दी है. इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, बरहट प्रखंड के खादीग्राम स्थित पुराने बंद पड़े आयुर्वेद अस्पताल को पुनः चालू कर दिया गया है. यह अस्पताल अब क्षेत्रीय लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करेगा. अस्पताल के पुनरुद्धार की प्रक्रिया में विभाग ने एक नये डॉक्टर की नियुक्ति की है. इसके साथ ही कंपाउंडर, फार्मासिस्ट और प्यून की नियुक्ति भी जल्द की जाएगी. विशेष रूप से अस्पताल में एक महिला डॉक्टर निधि कुमारी की नियुक्ति की गयी है. महिला मरीजों के लिए महिला डॉक्टर की उपस्थिति महत्वपूर्ण साबित होगी, क्योंकि इससे वे अपनी समस्याओं को अधिक सहजता से बता सकेंगी और सटीक इलाज प्राप्त कर सकेंगी. जिला देसी चिकित्सा पदाधिकारी खुर्सीया तलक ने बताया कि यह अस्पताल पहले से बंद पड़ा हुआ था, लेकिन विभाग के निर्देश के तहत इसे फिर से खोल दिया गया है. वर्तमान में अस्पताल में दवा और स्टाफ की कमी है, लेकिन विभाग ने आवश्यक सुविधाओं के लिए पत्र लिखा है. अस्पताल को जल्द ही अपना स्थायी भवन मिलने की उम्मीद है, जिसके बाद यहां गठिया, साइटिका, जोड़ों के दर्द जैसे गंभीर बीमारियों का इलाज किया जाएगा. यह अस्पताल अंग्रेजी शासन के दौरान भी महत्वपूर्ण था, जब एक महिला डॉक्टर ग्रामीणों का इलाज करती थीं. अंग्रेजों के जमाने के बाद यह अस्पताल आयुर्वेद अस्पताल के रूप में संचालित होने लगा, लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण यहां चिकित्साकर्मी नहीं थे. अब एक बार फिर से यह अस्पताल स्थानीय लोगों को आयुर्वेदिक चिकित्सा की सुविधा प्रदान करेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है