सदर अस्पताल से पटना रेफर गर्भवती की मौत, परिजनों में मातम
आशा के चक्कर में पड़ परिजनों ने निजी क्लिनिक में कराया था भर्ती
जमुई. सदर अस्पताल से पटना रेफर की गयी गर्भवती महिला की सदर अस्पताल परिसर में ही मौत हो गयी. इसके साथ ही गर्भ में बच्चे की भी मौत हो गया. मृतका गिद्धौर थाना क्षेत्र के रतनपुर गांव निवासी पंकज मांझी की 35 वर्षीय पत्नी मन्नी देवी है. उसके भाई नगर परिषद क्षेत्र के उझंडी मुहल्ला निवासी राजेश मांझी ने बताया कि मेरी बहन मन्नी देवी काे दूसरे प्रसव के लिए ससुराल वालों ने रविवार की देर रात शहर के बोधबन तालाब के समीप स्थित पुष्पांजलि अस्पताल में भर्ती करवायाथा. चिकित्सक ने ऑपरेशन करने की बात कही और ढाई लाख रुपये खर्च बताया. इसके बाद हमलोग सोमवार की दोपहर बहन को लेकर सदर अस्पताल पहुंचे, जहां महिला चिकित्सक ने उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए पटना रेफर कर दिया. पटना ले जाने के लिए परिजन गर्भवती को लेबर रूम से नीचे ला रहे थे इसी दौरान उसकी मौत हो गयी. उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की भी जान चली गयी. गर्भवती मन्नी देवी की मौत के बाद परिजनों में मातम छा गया. सभी का रो-रोकर बुरा हाल था.
आशा ने लाया था निजी अस्पताल
मृतका गर्भवती मन्नी देवी के परिजनों ने आशा पर बहला-फुसलाकर निजी क्लिनिक में भर्ती करा देने का आरोप लगाया. परिजनों ने बताया कि मन्नी देवी आठ माह की गर्भवती थी. रविवार की देर रात रक्तस्राव होने लगा तो हमलोगों ने आशा को बुलाया और सदर अस्पताल चलने की बात कही, लेकिन आशा ने रात में सदर अस्पताल में चिकित्सक नहीं रहने की बात कहकर बोधबन तालाब के समीप स्थित पुष्पांजलि अस्पताल में भर्ती करा दिया. जहां इलाज के लिये रात भर में पंद्रह हजार रुपये लिया गया. सोमवार की सुबह ऑपरेशन कर प्रसव कराने की बात चिकित्सक ने कही, जिसमें ढाई लाख का खर्च बताया. जब हमलोगों ने इतने रुपये की व्यवस्था में सक्षम नहीं होने की बात कही तो उनलोगों ने गर्भवती को क्लिनिक से ले जाने का दबाव बनाया. इसके उपरांत पांच हजार वापस देकर सदर अस्पताल भेज दिया. परिजनों ने बताया गया कि यदि रात में ही सदर अस्पताल पहुंचते तो शायद गर्भवती और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की जान बच सकती थी. बताते चलें कि जिले में इन दिनों ने स्वास्थ्य विभाग में बिचौलियों का दबदबा बना हुआ है. ये मरीजों को बहला-फुसलाकर निजी क्लिनिक में भर्ती कराते हैं और मोटी रकम कमिशन के रूप में वसूलते हैं.कहते हैं प्रबंधक
सदर अस्पताल प्रबंधक रमेश कुमार पांडेय ने बताया कि गर्भवती को काफी गंभीर अवस्था में सदर अस्पताल लाया गया था. चिकित्सक ने प्राथमिक उपचार के बाद उसे बेहतर इलाज के लिए पटना रेफर किया था, लेकिन अस्पताल परिसर में ही उसकी मौत हो गयी. उन्होंने बताया कि यदि परिजन उस आशा का नाम बताते हैं जो उन्हें सदर अस्पताल न लाकर निजी क्लिनिक ले गयी तो विभाग उसके विरुद्ध अवश्य कार्रवाई करेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है