प्रतिनिधि, जमुई
डीईओ राजेश कुमार ने डीपीओ मध्याह्न भोजन सह स्थापना एवं समग्र शिक्षा मानस मिलिंद के खिलाफ प्रपत्र क का गठन करने की अनुशंसा की है. इसे लेकर उन्होंने शिक्षा विभाग को अनुशंसा पत्र भेजा है और एमडीएम डीपीओ के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी है. रिपोर्ट में डीपीओ पर विभागीय आदेशों और नियमों की अवहेलना करने, वित्तीय अनियमितताओं को बढ़ावा देने, और भ्रष्टाचार में संलिप्तता का आरोप लगाया गया है. 58 पन्ने के इस आरोप पत्र में डीईओ ने एमडीएम डीपीओ पर आरोप लगाया है कि उन्होंने 29 अप्रैल 2024 को डीईओ कार्यालय के निचले तल पर शार्ट सर्किट के कारण आग लगने की घटना की रिपोर्ट दर्ज नहीं करायी. विद्युत मीटर के नीचे महत्वपूर्ण दस्तावेज रखे हुए थे और आग ने कई संचिकाओं को प्रभावित किया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि मानस मिलिंद के योगदान के बाद भी, न तो सनहा दर्ज करायी गयी और न ही प्रभावित संचिकाओं की इन्वेंट्री तैयार की गयी. इसके बावजूद, जब मामले की गंभीरता बढ़ी, तो मानस मिलिंद ने अपने दायित्वों की अवहेलना की और रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की. इससे यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने जानबूझकर आवश्यक कार्रवाई को टालने की कोशिश की.रिपोर्ट में बताया गया है कि मध्याह्न भोजन योजना कार्यालय में 31 मार्च 2024 को शराब कांड की घटना के बाद भी डीपीओ ने विभागीय निर्देशों का पालन नहीं किया. छापेमारी के बाद, अधोहस्ताक्षरी कार्यालय ने संलिप्त कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रतिवेदन मांगा था, जिसका अनुपालन नहीं किया गया. इसके अलावा डीपीओ मानस मिलिंद ने आदेश की अवहेलना करते हुए कार्यालय को शिक्षा भवन परिसर में स्थानांतरित नहीं किया, जिससे कार्यालय का संचालन प्रभावित हुआ और योजना के कार्यों में व्यवधान उत्पन्न हुआ.
डीपीओ पर वित्तीय अनियमितताओं का भी गंभीर आरोप
रिपोर्ट में डीपीओ पर वित्तीय अनियमितताओं का भी गंभीर आरोप लगाया गया है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में बेंच-डेस्क आपूर्ति के लिए बिना निविदा के सीधे संवेदक को आपूर्ति आदेश देने के मामले में वित्तीय अनियमितता का आरोप है. इसके अलावा, शिक्षा भवन के ऊपरी तल पर मध्याह्न भोजन योजना कार्यालय के निर्माण के लिए 50 लाख रुपये की राशि का उपयोग नियमों के विरुद्ध किया गया, जिससे विभागीय नियमों और वित्तीय प्रबंधन में अनियमितताओं का संकेत मिलता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि डीपीओ मानस मिलिंद ने न तो विभागीय कार्यों में रुचि दिखायी और न ही विभागीय बैठकों में भाग लिया. डीईओ द्वारा दिये गये निर्देशों के अनुपालना में भी काफी कमी देखी गयी. मानस मिलिंद ने प्रति सप्ताह विद्यालयों के निरीक्षण के निर्देशों का पालन नहीं किया, जिससे शिक्षा विभाग की योजनाओं के कार्यान्वयन में कमी आयी. इसके अलावा, विभिन्न शिकायतों के निष्पादन में भी उनकी लापरवाही सामने आयी है, जो उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाती है.
न्यायालय के आदेशों की अवहेलना का भी लगाया गया है आरोप
डीईओ ने अपने विस्तृत प्रतिवेदन में मानस मिलिंद पर न्यायालय के आदेशों की अवहेलना का भी आरोप लगाया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि माननीय न्यायालय के आदेश के अनुसार, कुछ शिक्षकों के वेतन से कटौती कर जमा करने की कार्रवाई की जानी थी, लेकिन डीपीओ मानस मिलिंद ने इस आदेश का अनुपालना नहीं किया. इसके परिणामस्वरूप न्यायालय ने उनको 28 अगस्त 2024 को उपस्थित होकर कारण-पृच्छा देने का आदेश दिया था, जो कि उनकी लापरवाही को और स्पष्ट करता है. आरोप पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि एमडीएम डीपीओ ने आंगुतकों के साथ अमर्यादित व्यवहार किया और उनकी शिकायतों को नजरअंदाज किया. इससे संबंधित शिकायतें जिला पदाधिकारी और उच्च अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत की गयी है, जिससे उनकी छवि और कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठते हैं. डीईओ कार्यालय ने उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है और उनके कदाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाने की मांग की है.
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