हत्या के लिए लगाये जाने वाली आईपीसी की धारा 302 अब 101 कहलायेगी

1 जुलाई से आईपीसी (इंडियन पीनल कोड) की जगह भारतीय न्याय संहिता, सीआरपीसी (क्रिमिनल प्रोसीजर कोड) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो जायेगा

By Prabhat Khabar Print | June 28, 2024 10:05 PM

प्रतिनिधि, जमुई. आगामी 1 जुलाई से आईपीसी (इंडियन पीनल कोड) की जगह भारतीय न्याय संहिता, सीआरपीसी (क्रिमिनल प्रोसीजर कोड) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो जायेगा. इस नये कानून के तहत अब हत्या के लिए लगाये जाने वाली आईपीसी की धारा 302 अब धारा 101 कहलायेगी. ठगी के लिए लगाये जाने वाली धारा 420 अब धारा 316 होगी. हत्या के प्रयास के लिए लगाई जाने वाली धारा 307 अब धारा 109 कहलायेगी, जबकि रेप के लिए लगाये जाने वाली धारा 376 अब धारा 63 होगी. हिट एंड रन केस का संबंधित प्रावधान तुरंत लागू नहीं होगा. सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब ट्रायल कोर्ट को हर फैसला अधिक से अधिक तीन साल में देना होगा. एक जुलाई से लागू नए कानून के तहत 90 दिनों के भीतर आरोप पत्र दाखिल करना होगा. सक्षम अदालत स्थिति को देखते हुए 90 दिनों की इजाजत भी दे सकती है. 180 दिन में जांच पूरी कर ट्रायल के लिए भेजना होगा. साथ ही सुनवाई के बाद 30 दिन में फैसला देना होगा. नये कानून में आतंकवादी कृत्य, जो पहले गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम जैसे खास कानूनों का हिस्सा था, इसे अब भारतीय न्याय संहिता में शामिल किया गया है. नये कानूनों के तहत जो भी शख्स देश को नुकसान पहुंचाने के लिए डायनामाइट या जहरीली गैस जैसे खतरनाक पदार्थों का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें आतंकवादी माना जायेगा. पॉकेटमारी जैसे छोटे संगठित अपराधों पर भी नकेल कसने का प्रावधान नये कानूनों में किया गया है. इस तरह के संगठित अपराधों से निबटने के लिए राज्यों के अपने कानून थे. नये कानूनों में नाबालिग से दुष्कर्म करने के दोषियों को अब फांसी की सजा दी जा सकेगी. गैंगरेप के मामलों में 20 साल की कैद या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है. नाबालिग के साथ गैंगरेप को नये अपराध की श्रेणी में रखा गया है. नये कानून लागू होने के पहले जिले के सभी पुलिसकर्मी इसे अमल में लाने के लिए मेहनत में जुट गये है. एसपी और अन्य अधिकारियों ने पुलिस अधिकारियों को व्यापक प्रशिक्षण दिया है. थानाध्यक्ष के द्वारा अपने सहकर्मियों को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया गया है. क्या होगा बदलाव हत्या के लिए लगायी जाने वाली आईपीसी की धारा 302 अब धारा 101 कहलायेगी. सीआरपीसी में 484 धाराएं थीं, जबकि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं होंगी. नये कानून में सीआरपीसी की 177 धाराओं को बदला गया है और 9 नई धाराएं जोड़ी गयी है. नये कानून को लाते हुए 14 धाराएं समाप्त हो गयी है. भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत 170 धाराएं होंगी, जबकि अभी तक इसमें 166 धाराएं हैं. मुकदमे के सबूतों को कैसे साबित किया जायेगा, बयान कैसे दर्ज होंगे, यह सब अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत 170 धाराओं के तहत ही होगा. नये कानून लाने में 24 धाराओं में बदलाव किया गया है. 2 नई धाराएं भी साक्ष्य अधिनियम में जोड़ी गयी है जबकि पुरानी 6 धाराओं को समाप्त भी किया गया है. सजा को बनाया गया सख्त भारतीय न्याय संहिता में यह तय होगा कि कौन सा कृत्य अपराध है और उसके लिए क्या सजा होगी. आईपीसी कानून में 511 धाराएं थीं, जबकि नये बीएनएस में 358 धाराएं होंगी. नये कानून में 21 नये अपराधों को भी शामिल किया गया है. आतंकवाद, मॉब लींचिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले अपराधों के लिए सजा को और सख्त बनाया गया है.

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