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80 करोड़ 99 लाख से जमुई नगर परिषद में होगा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण, मंत्रिमंडल की लगी मुहर

जमुई शहर में अस्सी करोड़ रुपये की लागत से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाया जायेगा.

जमुई. जमुई शहर में अस्सी करोड़ रुपये की लागत से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाया जायेगा. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देश के बाद राज्य सरकार की तरफ से यह निर्णय लिया गया है. राज्य सरकार की ओर से जिन 14 शहरों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट एसटीपी लगाने का निर्णय लिया गया है, उसमें जमुई भी शामिल है. जमुई शहर में दो यूनिट एसटीपी बनाये जायेंगे. इसे लेकर बीते गुरुवार को बिहार मंत्रिमंडल की बैठक में इसे स्वीकृति प्रदान की गयी है. इसके लिए 80 करोड़ 99 लाख 83 हजार 750 रुपये की स्वीकृति प्रदान की गयी है. इसमें 77 करोड़ 39 लाख 85 हजार रुपये का केंद्रांश दिया जायेगा. जबकि राज्य सरकार की ओर से 3 करोड़ 59 लाख 98 हजार 750 रुपये सेंटेज राशि देय होगी. इसके तहत जमुई शहर के त्रिपुरारी सिंह घाट एवं खैरमा में किऊल नदी के तट पर दोनों सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जायेंगे.

दोबारा इस्तेमाल में लाया जा सकेगा गंदा पानी

गौरतलब है नमामि गंगे परियोजना के तहत इस प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन किया जायेगा. बिहार अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (बुडको) को इसके क्रियान्वयन की जिम्मेवारी दी गयी है. इन प्लान के अधिष्ठापन से घरों से निकलने वाले लाखों लीटर गंदे पानी को नदी में गिरने से रोका जाएगा और इस पानी को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाया जायेगा. इस पानी को साफ कर इसे दोबारा इस्तेमाल करने के लायक बनाया जायेगा. पानी को साफ करने के लिए भौतिक, रासायनिक और जैविक विधि का प्रयोग किया जायेगा. इस पानी का इस्तेमाल नहाने, पौधे की सिंचाई और मछली पालन सहित अन्य कार्य में किया जा सकता है. गौरतलब है कि इसे लेकर जनवरी 2023 में ही नगर परिषद के द्वारा डीपीआर बनाकर स्वीकृति हेतु भेजा गया था.

एनजीटी ने दिया था स्पष्ट निर्देश

बताते चलें कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि बिहार की नदियों में किसी भी सूरत में शहरों के नाले का गंदा पानी नहीं गिराया जाना है. जिसके बाद नगर विकास विभाग के द्वारा यह निर्णय लिया गया है. इन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के जरिये पानी का शोधन (बायो रेमेडीएशन) करने के बाद उन्हें नदियों में डाला जाएगा या साफ कर उन्हें दोबारा इस्तेमाल में लाया जायेगा. इसे लेकर पहले भी कई बार डीपीआर बनाकर भेजा गया था, लेकिन दोनों यूनिट के लेवल में कुछ अंतर होने तथा दिल्ली से आई टीम की जांच रिपोर्ट के बाद उसमें संशोधन का निर्देश दिया गया था. संशोधन के उपरांत पुनः साल 2023 में डीपीआर को नगर विकास विभाग के पास भेज दिया गया था.

नदी को प्रदूषित होने से बचाया जा सकेगा

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लग जाने से शहर के नदी को प्रदूषित होने से बचाया जा सकेगा. अभी शहर से निकलने वाले नालों का पानी सीधे नदी में जाकर गिरता है. नाले का गंदा व दूषित पानी गिरने से जल प्रदूषण बढ़ता है. ट्रीटमेंट प्लांट लग जाने पर पूरे शहर के करीब एक लाख से अधिक घरों से निकलने वाले पानी को दोबारा इस्तेमाल के लायक बनाया जा सकेगा. शहर के घरों से निकलने वाले पानी नाले व नालियों के सहारे आउटफॉल के माध्यम से नदी में गिरता है. सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए अलग से पाइप लाइन बिछाई जाएगी तथा गंदे वह दूषित पानी को प्लांट तक पहुंचाया जाएगा. एसटीपी को लेकर मंत्रिमंडल की स्वीकृति प्रदान को गई है तथा बुडको को इसका जिम्मा सौंपा गया है. जल्दी ही इसका क्रियान्वयन शुरू कर दिया जायेगा, जिस से शहर के लोगों को फायदा पहुंचेगा. प्रियंका गुप्ता, कार्यपालक पदाधिकारी, नप जमुई

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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