चकाई. प्रखंड के उरवा गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन वृंदावन धाम से आए श्रीअनादि जी महाराज ने कहा कि जब राजा परीक्षित को ऋषि ने सात दिवस में मृत्यु का श्राप दिया तब भगवान ही परीक्षित की रक्षा करने के लिए प्रकट हुए. शुकदेव जी ने कहा कि परीक्षित तुम सबसे पहले भगवान की कथा को श्रवण करो जिससे भगवान के स्वभाव और स्वरूप के बारे में ज्ञान हो जायेगा. इसके बाद तुम्हें भगवान से प्रेम हो जायेगा और सात दिवस में ही तुम्हारी मुक्ति हो जायेगी. उन्होंने आगे कपिल देवहूति संवाद का वर्णन करते हुए कहा कि एक दिन देवहूति ने भगवान से कहा कि हमने अपने जीवन में संसार के समस्त सुखों का भोग किया है, लेकिन फिर भी हमारा मन अशांत है. तब भगवान ने कहा कि मां आप सबसे पहले आप अपने मन को संतों की शरण में लगाओ और संत जन हमारी कथा आपको श्रवण कराएंगे. उसके बाद आपका कल्याण हो जायेगा. जब हम भगवान का दर्शन करने जाएं तो सबसे पहले भगवान के चरणों का दर्शन करें क्योंकि भगवान के चरण में साक्षात प्रयागराज का दर्शन होता है. फिर क्रमशः घुटनों, कटी, वक्षस्थल, कौस्तुभ मणि, मुख, मुस्कान आदि का दर्शन करना चाहिए. क्योंकि भगवान की मुस्कान का दर्शन करने पर मानव के जीवन में जो शोक के आंसुओं का सागर भरा हुआ है वो तुरंत सूख जाता है. अंत में देवी सती चरित्र के अंतर्गत शंकर भगवान की दयालुता का वर्णन करते हुए कहा कि जिसे दुनिया त्याग कर देती है उसे शंकर भगवान स्वीकार कर लेते हैं. वे अपने भक्तों पर अति शीघ्र प्रसन्न होकर वरदान दे देते हैं इसलिए उन्हें आशुतोष कहा जाता है. कथा के विश्राम के उपरांत यजमान परिवार द्वारा दिव्य आरती एवं प्रसाद वितरण किया गया. कार्यक्रम सुभाष राय व प्रमोद राय की माता सुनैना देवी के द्वारा की जा रही हैं. मौके पर कामदेव राय, अंजनी तिवारी, रोहित राय जीतेंद्र हजारी. बबलू राय, गीरजा राय, सुधीर राय, मदन चौधरी मिथलेश राय, तारनी चौधरी, पंचांद राय, रमेश राय, महेश राय आदि लोग मौजूद थे.
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