परती भूमि के सर्वेक्षण से वैज्ञानिकों को मिलती है खेती की नयी समझ: डॉ एफएच रहमान

कृषि विज्ञान केंद्र व राष्ट्रीय भूमि सर्वेक्षण कार्यालय कोलकाता की ओर से एक दिवसीय कर्मशाला आयोजित

By Prabhat Khabar News Desk | August 7, 2024 9:57 PM

जमुई. परती भूमि के सर्वेक्षण से वैज्ञानिकों को खेती की नयी समझ मिलती है. उक्त बातें कृषि विज्ञान केंद्र व राष्ट्रीय भूमि सर्वेक्षण कार्यालय कोलकाता द्वारा आयोजित एक दिवसीय कर्मशाला के उद्घाटन सत्र में एनबीएसएस कोलकाता के क्षेत्रीय प्रमुख डॉ एफएच रहमान ने कही. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार के कृषि विभाग ने पूरे बिहार के परती भूमि के सर्वेक्षण के जिम्मेवारी दी है. सर्वेक्षण का कार्य सैटेलाइट के माध्यम से किया जा रहा है और लगभग समाप्ति पर है. इस दौरान जो डाटा निकल कर आ रहा है इसकी पुष्टि कृषि विज्ञान केंद्रों के द्वारा की जानी है. सैटेलाइट से प्राप्त डाटा का आकलन एवं पुष्टि हेतू मूल्यांकन करने संबंधित इस कर्मशाला का आयोजन किया गया है और इसमें कृषि विज्ञान केंद्र जमुई मुख्य भूमिका निभा रहा है. कृषि विज्ञान केंद्र प्रमुख डॉ सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि कार्यक्रम में पटना, बांका, गया, पूर्णिया, मधुबनी, पूर्वी चम्पारण, पश्चिम चम्पारण के केंद्र प्रमुख ने भाग लिया और अपने विचार व्यक्त किये. उन्होंने बताया कि अभी तकनीकी सैटेलाइट डाटा के अनुसार जमुई में लगभग 55000 हेक्टेयर भूमि परती है, जिसका मूल्यांकन दो माह के अंदर किया जायेगा. कार्यक्रम में बिहार पशु विज्ञान विश्व विद्यालय पटना के निदेशक डॉ एके ठाकुर, भरतीय कृषि अनुसंधान परिषद् अटारी पटना के डॉ डीवी सिंह, जिला कृषि पदाधिकारी ब्रजेश कुमार, सहायक निदेशक भूमि संरक्षण, कृषि केंद्र जमुई के वैज्ञानिक डॉ प्रमोद सिंह, रूबी कुमारी सहित कई लोग उपस्थित थे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version