स्वामी विवेकानंद ने विश्व में भारतीय संस्कृति व अध्यात्म का बजाया था डंका

स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर संगोष्ठी का हुआ आयोजन

By Prabhat Khabar Print | July 4, 2024 10:12 PM

झाझा. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद नगर इकाई के कार्यकर्ताओं ने देवसुंदरी मेमोरियल महाविद्यालय प्रांगण में गुरुवार को स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर संगोष्ठी का आयोजन किया. नगर कार्यकारिणी सदस्य नीतीश केसरी की इसकी अध्यक्षता में की. इस दौरान उपस्थित सदस्यों ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. मौके पर नगर मंत्री हरिनंदन प्रजापति ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी हमारे आदर्श हैं. अपनी तेजस्वी वाणी के जरिये पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का डंका बजाने वाले स्वामी विवेकानंद ने केवल वैज्ञानिक सोच तथा तर्क पर बल ही नहीं दिया, बल्कि धर्म को लोगों की सेवा और सामाजिक परिवर्तन से जोड़ दिया. स्वामी विवेकानंद ने 04 जुलाई 1902 को बेलूर मठ के एक शांत कमरे में महासमाधि ली. उस समय उनकी उम्र 39 साल थी. हालांकि स्वामी विवेकानंद अपने निधन से पहले कई बार अपने शिष्यों और परिचितों को कह चुके थे कि वो 40 साल के आगे नहीं जीने वाले. उनकी उम्र इससे आगे नहीं जायेगी. कार्यक्रम में मौजूद दक्षिण बिहार प्रांत एसएफडी सह संयोजक सूरज बरनवाल व प्रो रूबी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद भारत के ऐसे आध्यात्मिक गुरु थे, जिनके विचार, तर्क और भाषण का देश ही नहीं दुनिया ने भी लोहा माना. शिकागो में हुए सम्मेलन में जब उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत ””””मेरे प्यारे भाई और बहनों”””” से की थी, तो पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था. उनके अनमोल विचार आज भी युवाओं और बच्चों को प्रेरित करते हैं. उन्होंने कहा था कि सबसे बड़ा धर्म अपने स्वभाव के प्रति सच्चा होना है. उन्होंने कहा था, गर्व से कहो हम हिंदू हैं. मौके पर कॉलेज कर्मचारी ब्रजेश कुमार, मनोज भगत, नगर कार्यकारिणी सदस्य सतीश पासवान, आयुष केसरी, अभिजीत कुमार, योग प्रशिक्षक धर्मेंद्र कुमार समेत दर्जनों लोग उपस्थित थे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version