जमुई. लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ ही यह साफ हो गया था कि जमुई में पहले चरण में लोकसभा का चुनाव होना है. 19 अप्रैल को मतदान होना था और नामांकन के बाद सभी पार्टियों अपने-अपने स्तर से चुनाव प्रचार में जुट गयी थी. लेकिन इस पूरे चुनाव में जिस राजनेता ने सबका ध्यान अपनी तरफ केंद्रित किया वह थे बिहार सरकार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तथा राष्ट्रीय जनता दल के स्टार प्रचारक तेजस्वी यादव. तेजस्वी ने जमुई में एक के बाद एक धड़ाधड़ सभाएं की. जमुई के 6 विधानसभा में तेजस्वी ने अकेले 13 जनसभाएं की. इस लोकसभा चुनाव में तेजस्वी ने बिहार के सभी विधानसभा में कम से कम एक जनसभा को संबोधित किया और उन्होंने ढाई सौ से भी अधिक सभाएं की. पर जमुई के छह विधानसभा में उन्होंने 13 सभाएं कर जमुई के चुनावी समर को और मजेदार बना दिया था. तेजस्वी की हर सभा में अच्छी खासी भीड़ भी जुट रही थी. लेकिन आखिरकार तेजस्वी की 13 जनसभा भी अर्चना कुमारी के पराजय को नहीं रोक सकी. इतने लगातार प्रयास के बावजूद लोगों ने एनडीए पर भरोसा जताते हुए अरुण भारती के पक्ष में मतदान किया. अगर हम चुनावी समर की बात करें तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की तरफ से सबसे बड़ी रैली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली थी. जब उन्होंने 4 अप्रैल को जमुई जिले के जमुई विधानसभा क्षेत्र के बल्लोपुर में चुनावी सभा को संबोधित किया था. इसके अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 15 अप्रैल को जमुई लोकसभा के घाट कुसुंबा में एकमात्र रैली की. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जमुई के श्रीकृष्ण सिंह मेमोरियल स्टेडियम में जनसभा को संबोधित किया था. इसके अलावा चिराग पासवान ने जमुई में रोड शो किया तथा उन्होंने डोर टू डोर कैंपेन पर ज्यादा ध्यान दिया. तेजस्वी के लगातार प्रयास के बावजूद यह राजद के खेमे से दूर चली गयी. हालांकि स्थानीय इलाकों में इस बात की चर्चा भी है कि जमुई सीट इंडी गठबंधन की सीट से कहीं ज्यादा राजद की सीट के रूप में बनकर रह गयी थी. जमुई में तेजस्वी यादव को छोड़ दें तो ना तो कांग्रेस और ना ही अन्य किसी घटक दल के किसी बड़े नेता ने यहां कोई रैली की. ना ही किसी जनसभा को संबोधित किया और ना ही कोई रोड शो कर अपने पक्ष में मतदान करने की अपील भी की. वन मैन आर्मी की तरह तेजस्वी यादव ही इस सीट पर लोगों से मतदान की अपील करते रहे और उन्होंने धड़ाधड़ एक के बाद एक 13 जनसभाएं कर डाली. लेकिन उनकी यह मेहनत जमुई में काम ना आ सकी और आखिरकार जमुई से एनडीए के विजय का पताका एक बार फिर लहराया.
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