सोना उगलती है मंजोष की धरती, लोहा के लिए नहीं छोड़ सकते

भूमि अधिग्रहण के खिलाफ अधिकारियों के समक्ष किसानों ने जताया विरोध

By Prabhat Khabar News Desk | May 8, 2024 10:10 PM

जमुई. जिले के सिकंदरा प्रखंड क्षेत्र के मंजोष गांव में लौह अयस्क खनन के लिए प्रस्तावित भूमि के अधिग्रहण को लेकर सरकार व ग्रामीणों के बीच गतिरोध बरकरार है. हालांकि मंगलवार की शाम जिला प्रशासन के अधिकारियों ने मंजोष गांव पहुंच कर किसानों के साथ समन्वय बैठक कर भूमि अधिग्रहण को लेकर बने गतिरोध को खत्म करने का प्रयास किया, लेकिन बैठक में हजारों की संख्या में उपस्थित किसानों ने एक सुर में अपनी एक इंच भी जमीन देने से इंकार कर दिया. विदित हो कि जीएसआइ के सर्वे में मंजोष गांव में जमीन के नीचे 45 मिलियन टन लौह अयस्क का भंडार होने की पुष्टि हुई है. इसके बाद खान एवं भूतत्व विभाग इसके खनन की प्रक्रिया में जुट गया है. मंजोष गांव में लौह अयस्क खनन के लिए 85 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण प्रस्तावित है. खान एवं भूतत्व विभाग के सचिव धर्मेंद्र कुमार सिंह के द्वारा अधिग्रहित क्षेत्र के दायरे में आने वाले परिवारों को विस्थापित कर उसके पुनर्वास की बात कही गयी थी. इसके बाद से मंजोष गांव के किसानों में उबाल देखा जा रहा है. विस्थापन और पलायन की आशंका के बीच किसानों के द्वारा जमीन अधिग्रहण के लिए किये जा रहे सीमांकन कार्य को रोक दिया गया है. इसके बाद मंगलवार को एडीएम सुभाष चंद्र मंडल, उप विकास आयुक्त सुमित कुमार, अनुमंडल पदाधिकारी अभय कुमार तिवारी, प्रभारी खनिज विकास पदाधिकारी वीरेंद्र कुमार, भूमि सुधार उप समाहर्ता समेत कई पदाधिकारियों ने मंजोष गांव पहुंच कर ग्रामीणों के साथ बैठक की. इस दौरान उप विकास आयुक्त सतीश कुमार ने भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया के लिए प्रारंभ किये गये सीमांकन कार्य में किसानों से सहयोग करने की अपील की. उन्होंने कहा कि फिलहाल गांव में सीमांकन का कार्य किया जा रहा है. सीमांकन कार्य के दौरान आहर, पोखर, विद्यालय, मंदिर व घरों का वर्गीकरण किया जाएगा. उसके बाद ही भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण में गांव की आबादी को प्रभावित नहीं किया जाएगा. हालांकि किसान अपनी उपजाऊ जमीन छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. किसानों की सबसे बड़ी चिंता काला आहर को लेकर है.

मंजोष गांव का काला आहर मुंगेर प्रमंडल का माना जाता है सबसे बड़ा आहर:

विदित हो कि मंजोष गांव का काला आहर मुंगेर प्रमंडल का सबसे बड़ा आहर माना जाता है. इस आहर का कैचमेंट एरिया एक हजार एकड़ से अधिक है, जो मंजोष गांव के लिए टाल क्षेत्र के समान माना जाता है. वहीं काला आहर मंजोष गांव समेत सिकंदरा व हलसी प्रखंड के दस गांवों के लिए सिंचाई का सबसे बड़ा साधन है. गांव के अधिकांश घर समेत काला आहर का भी काफी क्षेत्र भूमि अधिग्रहण के लिए किये गये सीमांकन के दायरे में आ गया है. किसानों का कहना है कि अगर भूमि अधिग्रहण के दौरान गांव की आबादी को छोड़ भी दिया जाता है तो लौह अयस्क खदान बनने से मंजोष गांव के लिए लाइफलाइन माने जाने वाले काला आहर का अस्तित्व मिट जाएगा. ऐसे में हजारों एकड़ बहुफसली उपजाऊ भूमि बंजर में तब्दील हो जाएगी.

अपना घर, जमीन और आहर को त्याग कर विस्थापन का दंश नहीं झेल सकते हमलोग:

बैठक के दौरान किसानों की ओर से पैक्स अध्यक्ष चंद्रदेव सिंह ने जिलाधिकारी के नाम एक आवेदन देकर भूमि अधिग्रहण व सीमांकन की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की. ग्रामीणों का पक्ष रखते हुए पैक्स अध्यक्ष ने कहा कि खान एवं भूतत्व विभाग के सचिव धर्मेंद्र सिंह के द्वारा मंजोष गांव में लौह अयस्क खनन कार्य के लिए 85 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किये जाने एवं जून माह में टेंडर की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही गयी है. वहीं उनके द्वारा अधिग्रहण के दायरे में आने वाले परिवारों को विस्थापित कर पुनर्वास करने की भी जानकारी दी गयी. हम सभी मंजोष ग्रामवासी गांव में किये जा रहे सीमांकन कार्य पर घोर आपत्ति जताते हुए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पर अपनी असहमति व्यक्त करते हैं. उन्होंने कहा कि हमारी उपजाऊ जमीन लगभग 10 हजार लोगों की आजीविका का प्रमुख साधन है. ऐसे में हमलोग अपना घर, जमीन और आहर को त्याग कर विस्थापन का दंश नहीं झेल सकते हैं. हमें न तो ऐसी उपजाऊ जमीन कहीं मिल सकती है और न ही सिंचाई का इतना बड़ा स्रोत ही मिल सकता है. इसलिए हम सभी ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है कि हम किसी भी कीमत पर अपना घर और अपनी उपजाऊ जमीन का अधिग्रहण नहीं होने देंगे. हमारी शस्य श्यामला उर्वरा धरती सोना उगलती है ऐसे में सोना उगलने वाली मिट्टी में लोहा (लौह अयस्क) तलाशना आर्थिक दृष्टिकोण से भी उचित नहीं है. इस दौरान बैठक में उपस्थित हजारों लोगों ने एक साथ हाथ उठा कर अधिग्रहण व सीमांकन कार्य का विरोध किया.

बैठक में थे मौजूद:

बैठक में मंजोष गांव के अलावा काला आहर से सिंचित क्षेत्र के जलैय दोस्तनी, रामपुर घोष, सिझौड़ी, गोरडीह, बक्सनपुर, टाल सहरसा, बरुणा एवं हलसी प्रखंड के वाजितपुर व सलौंजा गांव से भी कई लोगों ने भाग लिया. मौके पर पूर्व मुखिया पंकज सिंह, प्रो विद्यार्थी सिंह, रामाशीष सिंह, टिंकू लाल, श्यामनंदन सिंह, प्रभात कुमार भारती, योगेंद्र सिंह, प्रतोष कुमार, कटिमन सिंह, विजय सिंह, अशोक सिंह, रंजीत सिंह, कनेडी सिंह, राजेंद्र सिंह, मुकेश सिंह, देवेंद्र सिंह, श्यामसुंदर सिंह, मार्कंडेय कुमार, अनिरुद्ध सिंह, पवन कुमार, जय जय राम सिंह, कृष्णनंदन सिंह, संजय सिंह, गोपाल कुमार, मधुकर आनंद, मतिषचंद्र भास्कर, रजनीश कुमार, ज्योति कुमार, राजकमल, रामशंकर कुमार समेत हजारों की संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे.

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