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अगर सिमुलतला अस्पताल में होती सुविधाएं तो बचायी जा सकती थी चार मासूमों की जान

सरकारी अस्पतालों की स्थिति में नहीं हो रहा सुधार

सिमुलतला

स्वास्थ्य महकमा लाख दावे कर ले, लेकिन सरकारी अस्पतालों की हालत किसी से छिपे नहीं हैं. सिमुलतला अस्पताल की स्थिति भी इसी तरह की है. यहां चार मासूमों की जिंदगी अस्पताल की कुव्यवस्था की भेंट चढ़ गयी. गौरतलब है कि मंगलवार को बांका जिला के आनंदपुर ओपी क्षेत्र के बेहरार गांव की चार बच्ची एक साथ नहाने के दौरान पोखर में डूब गयी थी. निकालने के बाद अचेत अवस्था में परिजनों ने सभी को सिमुलतला अस्पताल लाया, लेकिन सिमुलतला अस्पताल में मरीजों के लिए आपातकालीन सेवा उपलब्ध नहीं होने के कारण परिजन मजबूरन बाइक से ही अचेत अवस्था में ही सभी बच्चियों को 22 किमी दूर झाझा रेफरल अस्पताल ले गये. इस दौरान चारों अचेत बच्चियों की रास्ते में ही मौत हो गयी. इसके बाद परिजनों में कोहराम मच गया. इस बाबत स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर सिमुलतला अस्पताल की व्यवस्था सही होती तो शायद उन मासूमों की जान बचायी जा सकती थी.

दी मुंगेर जमुई सेंट्रल को- ऑपरेटिव बैंक के उपाध्यक्ष सह जन सुराज के नेता

श्रीकांत यादव

ने कहा कि यहां के सांसद व विधायक सिर्फ वोट की राजनीति करते हैं. यहां की जनता के बारे में आजतक किसी ने कुछ भी नहीं सोचा. सिमुलतला में किसी सड़क दुर्घटना, हादसे या प्रसव के दौरान आपातकालीन स्थिति होने पर सही स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाती है. इससे लोग झाझा व देवघर जाकर इलाज करने के लिए मजबूर होते हैं. पूर्व सांसद, वर्तमान सांसद, स्थानीय विधायक पिछले कई सालों से सत्ता में हैं, लेकिन उन्होंने भी कभी इस अस्पताल को लेकर कुछ नहीं किया. इसका परिणाम होता है अधिकांश मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि झाझा व जसीडीह में जाने के लिए कोरोना काल से पूर्व सिमुलतला में ट्रेन ठहराव की स्थिति को ठीक ठाक थी, जो अभी तक उस प्रकार की नहीं बन पायी है.जिला परिषद प्रतिनिधि

आलोक सिंह

ने कहा कि सिमुलतला के लोग आजतक भगवान के भरोसे जी रहे हैं. स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर कुछ भी उपलब्ध नहीं है. यहां सिर्फ खांसी, सर्दी व बुखार का इलाज किया जाता है. यहां तक गर्भवती महिलाओं के लिए भी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. एबुंलेंस तक की भी सुविधा नहीं है. हद की बात तो यह है कि अस्पताल सुबह 10:00 बजे खुलता है और दोपहर 2:00 ही बंद हो जाता है तो मरीजों को क्या सुविधा मिलती होगी, यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है. सिमुलतला में स्वास्थ्य सुविधा बढ़ाने को लेकर हमलोगों ने कई बार जिला स्तर पर पत्र के माध्यम से मांग की है. आज तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है. सिमुलतला के किसी भी जनप्रतिनिधि को आजतक स्वास्थ्य समिति की बैठक की सूचना तक नहीं दी जाती है.

खुरंडा गांव निवासी समाजसेवी

प्रकाश पंडित

ने कहा कि सिमुलतला अस्पताल में जब डॉक्टर ही नहीं हैं तो उपचार क्या होगा. इस अस्पताल में दो आयुष का डॉक्टर हैं. स्वास्थ्य विभाग सिमुलतला के लोगों को भ्रमित कर रहा है. सिमुलतला में स्वस्थ सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है. डॉक्टर आयुर्वेद का है और मरीज को अंग्रेजी की दवा दी जाती है. यहां कम से कम एक फिजिशियन होना चाहिए था.

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