Health News: यदि शुगर से पीड़ित मरीज का तमाम इलाज के बावजूद शुगर कंट्रोल नहीं हो रहा तो एक बार टीबी की जांच जरूर करवानी चाहिये, क्योंकि मधुमेह से पीड़ित मरीजों में टीबी होने का खतरा चार गुणा अधिक होता है. टीबी और डायबिटीज के कांबिनेशन को देखते हुए सदर अस्पताल सहित सभी पीएचसी-सीएचसी व हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर टीबी या मधुमेह से पीड़ित मरीजों में दोनों ही बीमारियों की जांच सुनिश्चित की गयी है.
सिविल सर्जन डॉ कुमार महेंद्र प्रताप ने बताया डायबिटीज एक इम्यून डिसऑर्डर है. इसमें शरीर की रोग से लड़ने की क्षमता घट जाने के कारण टीबी, हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों की आशंका कई गुणा हो जाती है. खासकर 30 की उम्र के मरीज, अगर डायबिटिक हैं तो उनमें टीबी की जांच सबसे पहले करानी चाहिये. जिले में एनपीसीडीसीएस कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में एएनएम के माध्यम से लोगों की टीबी स्पूटम संग्रह व डायबिटीज की जांच व उपचार निःशुल्क किया जाता है. डायबिटीज से पीड़ित रोगियों में टीबी के लक्षण जैसे खांसी, बुखार, वजन में कमी, रात में पसीना आना आदि की पहचान पर तुरंत जांच एवं उपचार की व्यवस्था की गयी है.
Health News: समय पर इलाज न होने पर अधिक बढ़ जाता है खतरा
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ सैयद नौशाद अहमद ने बताया कि डायबिटीज में शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता घट जाने से मरीजों में टीबी की आशंका चौगुनी हो जाती है. डायबिटीज मरीज का ठीक ढंग से इलाज नहीं हो पाता है. टीबी के लक्षणों की शिकायत वाले मरीजों के ब्लड-शुगर की भी जांच की जा रही है. कई मामले ऐसे हैं, जिनमें मरीज टीबी के साथ शुगर से भी ग्रस्त रहते हैं.
Health News: हर तीन में से एक व्यक्ति को रहता है टीबी लेटेंट
दुनियाभर में हर तीन में से एक व्यक्ति के शरीर के भीतर टीबी लेटेंट यानी अप्रकट रहता है. बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं, तो एचआइवी पॉजिटिव और डायबिटीज के मरीजों में इसकी आशंका सबसे ज्यादा होती है. इसके अलावा कुपोषण, अल्कोहल एवं स्मोकिंग से भी टीबी का खतरा बढ़ जाता है.