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सांख्यिकी सटीकता का विज्ञान और भविष्य की कुंजी

विश्व सांख्यिकी दिवस के अवसर पर रविवार को केकेएम कॉलेज परिसर में सांख्यिकी का बहुआयामी महत्व और योगदान विषय पर एक परिचर्चा की गयी.

जमुई. विश्व सांख्यिकी दिवस के अवसर पर रविवार को केकेएम कॉलेज परिसर में सांख्यिकी का बहुआयामी महत्व और योगदान विषय पर एक परिचर्चा की गयी. मौके पर केकेएम कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ चंद्रमा सिंह ने कहा कि सांख्यिकी गणित की एक शाखा है और सांख्यिकी का भी आधार गणित ही है. इसके सिद्धांत और तकनीक गणितीय सिद्धांतों पर आधारित है. हर वर्ष 20 अक्तूबर को अंतरराष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस मनाने का उद्देश्य सांख्यिकी विज्ञान और उसकी उपयोगिता के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना है. उन्होंने कहा कि भारत का सबसे बड़ा सांख्यिकीविद् और अर्थशास्त्री प्रशांतचंद्र महानलोविस के जन्मदिन को भी राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के रूप में मनाते हैं. डॉ गौरी शंकर पासवान ने कहा कि सांख्यिकी हमें जटिल-से-जटिल डेटा और जानकारी को व्यवस्थित तथा विश्लेषित करने का एक सटीक तरीका प्रदान करता है. यह शिक्षा, चिकित्सा, व्यापार, चुनाव और विज्ञान में निर्णय लेने में सहायता करती है. सांख्यिकी जीवन के विभिन्न पहलुओं की भविष्यवाणी, तुलना और मूल्यांकन करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. सांख्यिकी सटीकता लाने का विज्ञान और भावी योजनाओं एवं भविष्यवाणियों की कुंजी है. सांख्यिकी जीवन का सार, और विश्लेषण का आधार है. यह आंकड़ों की कला है जो सत्य की परतें खोल देती है और दुनिया की भ्रम तोड़ देती है. सांख्यिकी सच्चाई की आइना है. क्योंकि यह तथ्यों और आंकड़ों के माध्यम से वास्तविकता को दर्शाती है. यदि किसी देश की जनसंख्या वृद्धि या आर्थिक स्थिति का आकलन करना चाहते हैं तो सांख्यिकी से ही सटीक और तथ्यपूर्ण जानकारी मिलती है.

राजनीतिक विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर सह इग्नू समन्वयक डॉ मनोज कुमार ने कहा कि सांख्यिकी का बहुआयामी महत्व और प्रयोग है. इसका राजनीति एवं चुनावी प्रक्रियाओं में भी विभिन्न प्रकार से उपयोग किया जाता है, जैसे चुनाव पूर्व सर्वेक्षण, एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल, वोट का प्रतिशत, पोलिंग डेटा का विश्लेषण, चुनावी रिजल्ट आदि में खुलकर सांख्यिकी का प्रयोग होता है. दर्शनशास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रो नाहिद बदर ने कहा कि सांख्यिकी एक ऐसा विषय है, जिसका उपयोग लगभग हर जगह किया जाता है. सांख्यिकी और दर्शनशास्त्र का संबंध अवधारणात्मक तथा सात्विक दृष्टिकोण से है, क्योंकि सत्य और अनिश्चितता, सटीकता, तार्किक निर्णय निर्माण में सांख्यिकी की शरण में जाना पड़ता है.

आंकड़ों को समझे बिना दुनिया को नहीं समझ सकते- प्रो रणविजय

मनोविज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो रणविजय कुमार सिंह ने कहा कि हम हर जगह आंकड़ों से घिरे हैं और उन्हें समझे बिना दुनिया को नहीं समझ सकते. सांख्यिकी की मनोवैज्ञानिक प्रयोग की योजना बनाने और परिणाम की व्याख्या में मॉडल का प्रयोग किया जाता है, ताकि निष्कर्ष वैद्य और विश्वसनीय हो सके.मौके पर उपस्थित डॉ डीके गोयल, डॉ एएस पोले, प्रो दानिश, डॉ सुदिप्ता, डॉ विनीता, डॉ प्रो कैलाश पंडित, डॉ रश्मि, डॉ श्वेता ने कहा कि विज्ञान और शोध कार्य में सांख्यिकी की भूमिका अहम है. यह विज्ञान प्रक्रिया को अनुशासित और सटीक बनाने का एक उपकरण है. इस दौरान डॉ अजीत कुमार भारती, उर्दू के विभागाध्यक्ष डॉ अनसर, कार्यालय सहायक रवीश कुमार सिंह, सुशील कुमार आदि कई शिक्षक, कर्मचारी और छात्र-छात्रा उपस्थित थी.

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