आदिवासी महिलाओं व युवतियों ने पारंपरिक वेश भूषा में मांदर व झाल पर सामूहिक रूप से नृत्य प्रस्तुत की, प्रतिनिधि, जमुई. आदिवासी संघर्ष मार्च के नेतृत्व में शुक्रवार को स्थानीय श्रीकृष्ण सिंह स्टेडियम परिसर में आदिवासी सोहराय मिलन समारोह का आयोजन किया गया. समारोह में जिले के शहरी व वन्य क्षेत्र में रहने वाले सैकड़ों आदिवासी छात्र-छात्राएं, महिला व पुरुष अपने पारंपरिक वेश-भूषा और वाद्य यंत्रों के साथ शामिल हुए. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आदिवासी संघर्ष मोर्चा के जिला संयोजक कल्लू मरांडी ने कहा कि आदिवासी इस देश का मूल निवासी है और सोहराय उनका महान पर्व है. यह पर्व प्रकृति पूजा, कृषि, और भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है. इस पर्व में गाय-बैल, भैंस, बकरी, और भेड़ जैसे मवेशियों की पूजा की जाती है. सोहराय पर्व आदिवासी संस्कृति का एक अहम हिस्सा है. सरकार से मांग करते है कि आदिवासी संस्कृति की रक्षा के लिये सोहराय के मौके पर 31 जनवरी को राष्ट्रीय छुट्टी घोषित किया जाये तभी हमारी परंपरा बरकरार रहेगी. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में माले नेता सह समाजसेवी बाबू साहब सिंह, शम्भू शरण सिंह, संथाल समाज के कृष्णा हेंब्रम, बासुदेव हासदा, संथाल सामाजिकी विकास समिति के अध्यक्ष अरुण हासदा आदि शामिल हुए. इसके पश्चात आदिवासी महिलाओं, युवतियों और युवाओं ने अपने पारंपरिक वेश भूषा में मांदर और झाल पर सामूहिक रूप से नृत्य प्रस्तुत किए. मौके पर संथाल समाज के संरक्षक रामजी मुर्मू, सुमन मरांडी, सचिव अरुण मुर्मू, जितेंद्र कुमार, बासुदेव हासदा, राजकिशोर किस्कू, खूबलाल राणा, मुन्नी मरांडी, उर्मिला देवी सहित सैकड़ों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग शामिल हुए .
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