अपशिष्ट प्रसंस्करण की व्यवस्था को लगा ग्रहण

गिद्धौर प्रखंड में घर-घर से कचरे का नहीं हो पा रहा उठाव, विभाग उदासीन

By Prabhat Khabar News Desk | August 26, 2024 10:01 PM

गिद्धौर. प्रखंड क्षेत्र में बनी अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई विभागीय लापरवाही के कारण बेकार साबित हो रही है. गौरतलब है कि प्रखंड क्षेत्र में लाखों रुपये खर्च कर स्थानीय स्तर पर ठोस व तरल अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई का निर्माण किया गया है. इसे लेकर पंचायत स्तर पर प्रत्येक वार्ड में कचरा निस्तारण को लेकर स्वच्छता कर्मी, सुपरवाइजर की बहाली करने के साथ वार्ड स्तर पर कचरा उठाव को लेकर रिक्शा व पंचायत स्तर पर बैट्री चलित टोटो की भी व्यवस्था की गयी. इसके साथ ही प्रत्येक पंचायत के हर वार्ड में हर एक घर में गीला कचरा एवं सूखा कचरा रखने को लेकर डस्टबिन भी उपलब्ध कराया गया. सरकार की इस योजना का एक मात्र उद्देश्य यह था कि लोग स्वच्छता के प्रति अपनी जिम्मेवारी को समझते हुए जहां तहां कचरा नहीं फेकें. कचरों को स्वच्छता कर्मियों को दें, जो डंपिंग यार्ड में कचरा लाकर, उन्हें वर्गीकृत कर आवश्यकता के हिसाब से रिसाइकल कर खाद एवं अन्य जरूरी सामग्री निर्माण में उनका उपयोग कर सकें. इन दिनों गिद्धौर प्रखंड में यह योजना विभागीय उदासीनता की भेंट चढ़ गयी है. नतीजतन यहां विभिन्न पंचायतों में वार्ड स्तर पर कचरा प्रबंधन से जुड़ी यह महत्वाकांक्षी योजना प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों की उदासीनता, मुखिया एवं पंचायत सचिव की लापरवाही के कारण महीनों से बंद पड़ी है, जिसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है.

क्षेत्र के ग्रामीण बताते हैं कि पंचायत में वार्ड स्तर पर डस्टबिन का वितरण किया गया. गीला एवं सूखा कचरे को अलग रखने को कहा गया था. प्रत्येक वार्ड में निर्धारित ठेला, रिक्शा द्वारा घर-घर से कचरा कलेक्शन कर उसको डंपिंग यार्ड तक ले जाकर निस्तारण की व्यवस्था भी की गयी थी. लगभग आठ महीनों से यह योजना प्रखंड में ठप पड़ी हुई है. किसी भी पंचायत में कचरे का उठाव नहीं हो रहा. इसकी वजह पूछे जाने पर ग्रामीण बताते हैं कि स्वच्छता कर्मियों को पंचायत स्तर पर मिलने वाला मानदेय बीते कई महीनों से नहीं मिला है, कर्मियों ने कचरा उठाव बंद कर दिया. वहीं इस कार्य को लेकर कई जगहों पर खरीदा गया रिक्शा जंग खा रहा है, कचरा उठाव को लेकर डस्टबिन भी स्वच्छता कर्मियों द्वारा क्षतिग्रस्त होने की बात कही जाती है. स्वच्छता कर्मी बताते हैं कि कचरा उठाव को लेकर निर्धारित मानदेय कई महीनों से नहीं मिला है, मजबूरन हम सभी स्वच्छता कर्मियों ने कचरा उठाव बंद कर दिया.

राशि की अनुपलब्धता से हो रही परेशानी

प्रखंड स्वच्छता समन्वयक प्रियंका रानी ने बताया कि पंचायत स्तर पर स्वच्छता कर्मियों के लिए 3,000 रुपये व पंचायत स्तर पर बहाल सुपरवाइजर का 7,500 रुपये मानदेय निर्धारित है. योजना के विधिवत संचालन के लिए एक वर्ष तक स्वच्छ भारत मिशन एवं अन्य समय के लिए मुखिया एवं पंचायत सचिव की ओर से निर्धारित कचरा उठाव को लेकर तय व्यवस्था के तहत प्रत्येक घर से उठाव को लेकर 30 रुपये बतौर प्रतिमाह शुल्क लिया जाना है, वहीं व्यवसायिक प्रतिष्ठान से 90 रुपये प्रति माह शुल्क वसूला जाना था, ताकि व्यवस्था सुचारू बनी रहे. वहीं मानदेय की व्यवस्था पंचायत स्तर पर 15वीं वित्त योजना की राशि से की जानी थी व प्रतिमाह निर्धारित शुल्क से रख रखाव एवं मेंटेनेंस की व्यवस्था की जानी थी, स्वच्छता समन्वयक ने बताया कि पंद्रहवीं वित्त में राशि की उपलब्धता नहीं होने से यह समस्या उत्पन्न हुई है. वरीय अधिकारियों का ध्यान व्यवस्था को सुचारू बनाये रखने को लेकर आकृष्ट कराया जाएगा.

कोट :

विभागीय स्तर पर राशि उपलब्ध होने पर मानदेय का भुगतान स्वच्छता कर्मियों को किया जाएगा. व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए विभागीय बैठक में वरीय अधिकारियों का इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया जाएगा.

सुनील कुमार, प्रखंड विकास पदाधिकारी, गिद्धौरB

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