जमुई. पति की लंबी उम्र की कामना को लेकर सुहागिन महिलाओं द्वारा किया जाने वाला व्रत करवाचौथ 20 अक्तूबर रविवार को मनाया जायेगा. करवाचौथ व्रत की तैयारी में महिलाएं जुट गयी है. शुक्रवार को बाजार में पूजा सामग्रियों के साथ शृंगार प्रसाधनों की खरीदारी महिलाओं ने की. बताते चलें कि प्रतिवर्ष कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत किया जाता है. पंडित श्रीदेव पांडेय ने बताया कि 20 अक्तूबर रविवार को चतुर्थी तिथि का सुबह 06 बजकर 46 मिनट से हो रहा है, जबकि इसका समापन 21 अक्तूबर सोमवार को सुबह 04 बजकर 16 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार करवा चौथ का व्रत 20 अक्तूबर को रखा जायेगा. इस दिन दिनभर व्यतिपात योग रहेगा. व्यतिपात योग, सूर्य, चंद्रमा, और राहु या केतु के एक ही राशि में आने का योग है. इसे सभी 27 योगों में से 17वां योग माना जाता है यह एक अशुभ योग माना जाता है, लेकिन आध्यात्मिक उन्नति के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर माना जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत रखती हैं. इस दिन सुहागिन महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले उठकर सरगही करती है. इसके बाद पूरे दिन निर्जला उपवास का संकल्प लेती हैं. इस दिन शाम को महिलाएं सोलह शृंगार करती हैं और चांद दिखने के बाद अपने जीवनसाथी को छलनी की मदद से चांद के साथ देखती हैं. चंद्रमा निकलने के बाद दर्शन करके अर्घ्य दिया जाता है और इसके बाद करवा चौथ के व्रत का पारण किया जाता है.
करवा चौथ का महत्व
पंडित श्रीदेव पांडेय ने बताया कि करवा चौथ भारतीय उपमहाद्वीप में विशेषकर हिंदू महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है. यह व्रत पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना के लिए रखा जाता है. इस दिन विवाहित महिलाएं निराहार रहकर चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चंद्रमा के दर्शन कर अर्घ्य देने के बाद व्रत पारण करने से वैवाहिक जीवन की परेशानियां दूर होती हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. मान्यता ये भी हैं कि इस व्रत के जैसा सौभाग्यदायक अन्य कोई व्रत नहीं है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है