सोनो.
चरकापत्थर थाना क्षेत्र की छुछनरिया पंचायत स्थित मरियम पहाड़ी से सटे गांधोनी गांव निवासी एक महिला मोनिका टुड्डू जंगली भालू के हमले से गंभीर रूप से घायल हो गयी. परिजनों ने ग्रामीण चिकित्सक से प्रारंभिक इलाज कराने के उपरांत उसे शहरी इलाके में स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया है, जहां महिला का इलाज किया जा रहा है. घटना के संदर्भ में घायल महिला मोनिका के पति केरोबिन बास्के ने बताया कि हम दोनों पति- पत्नी गांव के बाहर अपने दोहट में सोये थे. सुबह हम दोनों शौच के लिए समीप ही जंगल से सटे तालाब की ओर गये थे. तभी तालाब किनारे पहले से ही वहां मौजूद भालू ने मेरी पत्नी पर हमला कर दिया. पत्नी की चीख सुनकर जब मैं वहां पहुंचा, तब देखा कि एक बड़ा भालू उस पर लगातार हमला कर रहा है. उसके साथ दो छोटा-छोटा भालू भी वहां मौजूद था. तभी मैं जोर-जोर हल्ला करते हुए पत्नी को बचाने का प्रयास करने लगा. मेरी आवाज सुनकर गांव के लोग भी आ गये तब जाकर तीनों भालू वहां से भागे. हमले में मोनिका के चेहरे, पेट व अन्य हिस्से पर गहरे घाव बन गये हैं. ग्रामीणों के सहयोग से उसे घर ला कर ग्रामीण चिकित्सक से प्रारंभिक इलाज करवा कर बेहतर इलाज हेतु बाहर ले गये. केरोबिन बास्के ने बताया कि भीषण गर्मी के कारण जंगल के भीतर के जल स्रोत सूख चुके हैं. इस कारण जंगली जानवर अब जंगल से बाहर के जल स्रोत की ओर प्यास बुझाने आने लगे हैं. इससे जंगल किनारे बसे गांव के लोगों पर खतरा बना है. मेरी पत्नी जिस तालाब की ओर गयी थी, भालू का परिवार भी अपनी प्यास बुझाने उसी तालाब किनारे आया था. बहरहाल इस घटना से जंगल किनारे स्थित गांव के लोग भय और चिंता में हैं.पानी के लिए जंगली जानवर भटक कर पहुंच रहे है आबादी की ओर
सोनो.
भीषण गर्मी से न सिर्फ आम लोग परेशान हो रहे हैं, बल्कि जंगली जानवर भी प्रभावित हो रहे हैं. तापमान 43 डिग्री पार करते ही स्थिति और ज्यादा बुरी हो गयी है. आग उगलते सूरज की रोशनी से तालाब, नदी व अन्य छोटे-छोटे जल स्रोत लगभग सूख गये हैं. जंगल के भीतर स्थित वैसे दर्जनों जल स्रोत सूख गये, जिस पर जंगल के जानवर अपनी प्यास बुझाने के लिए निर्भर रहते थे. जंगल के भीतर जल स्रोत के सूखने के कारण पानी के लिए भटक रहे जंगली जानवर अब जंगल से बाहर निकलकर आबादी की ओर आने लगे हैं. गांधोनी निवासी एक महिला पर भालू के हमले से जंगल किनारे स्थित गांव के लोग चिंतित है. उन्हें भय है कि खतरनाक जानवर पानी के लिए भटकते हुए जंगल से बाहर आबादी की ओर आ सकते हैं. और हमलोगों पर हमला कर सकते हैं. जंगल किनारे स्थित गांव के ग्रामीणों की मानें तो जंगल के भीतर छोटे-छोटे ताल-तलैया व अन्य जल स्रोत भीषण गर्मी में सूख गये हैं. जंगल के बाहर स्थित नदी तालाब की भी स्थिति ऐसी ही है. इक्का-दुक्का तालाब या पोखर में ही थोड़ा बहुत पानी है. इसमें जंगली जानवर अपनी प्यास बुझाने आने लगे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग की ओर से इन जंगली जानवरों की प्यास बुझाने हेतु जंगल के भीतर जल की व्यवस्था की जानी चाहिए. ताकि जानवर प्यास बुझाने के लिए जंगल से बाहर आबादी की ओर न आएं. बताते चलें कि चरकापत्थर थाना क्षेत्र का बड़ा इलाका ऐसे ही जंगल से भरा हुआ है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है