सोनो. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि यानी अक्षय नवमी रविवार को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनायी गयी. महिलाएं आंवला वृक्ष की पूजा कर और भूआ (कुष्मांड) के भीतर द्रव्य रखकर गुप्त दान किया और अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए कामना की. महिलाओं ने भगवान विष्णु की आराधना की. आचार्य पंडित बबलू पांडेय ने बताया कि अक्षय नवमी को भगवान विष्णु आंवला वृक्ष में निवास करते हैं. इसलिए इस दिन आंवला वृक्ष के पूजन से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. आंवला वृक्ष के पूजन के बाद दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. खासकर कुष्मांड के भीतर द्रव्य रखकर किये गये गुप्त दान से प्राप्त पुण्य का कभी भी क्षय नहीं होता है.
आंवला वृक्ष की पूजा कर मांगा अक्षय फल का वरदान
अलीगंज. प्रखंड क्षेत्र में रविवार को अक्षय नवमी के अवसर पर महिलाओं ने आंवला वृक्ष का पूजन कर अक्षय फल की कामना की. वृक्ष की पूजा करने के उपरांत पेड़ नीचे प्रसाद बनाकर सपरिवार ग्रहण किया. अक्षय नवमी की महत्ता पर चर्चा करते हुए विद्वान पंडित रंजीत पांडेय, सफल मिश्रा, आलोक पांडेय ने बताया कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष को अक्षय नवमी पर्व मनाया जाता है. उन्होंने बताया कि अक्षय नवमी का शाब्दिक अर्थ है अक्षय पुण्य यानी ऐसा पुण्य जो कभी समाप्त न हो. अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा से व्यक्ति को अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है और यह पुण्य जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाता है. इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन करना और दान करना भी अत्यंत लाभकारी माना गया है. अक्षय नवमी का संबंध भगवान विष्णु से भी है, जो सृष्टि के पालनहार हैं. इस दिन विष्णुजी के साथ आंवला पेड़ की पूजा करने से जीवन में आने वाली समस्याएं दूर होती हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि इस दिन की गयी पूजा और दान-पुण्य का फल अक्षय होता है जो न केवल इस जन्म में बल्कि अगले जन्मों में भी शुभ फल प्रदान करता है. कार्तिक के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि कुंआरी कन्याओं व महिलाओं के लिए खास होता है. इस दिन कुंआरी कन्या व महिलाएं सोना, चांदी या अन्य वस्तु गुप्त दान करती हैं. साथ ही आंवला पेड़ का परिक्रमा कर वस्त्र के रूप में धागा लपेटती हैं. इससे उनपर आने वाला संकट टल जाता है और जिनकी शादी हो चुकी है उनके पति की उम्र बढ़ती है. साथ ही बताया कि जो व्यक्ति कार्तिक मास में एक महीना स्नान नहीं कर पाये हैं तो उन्हें तीन दिन अवश्य स्नान करना चाहिए. आंवला का पत्ता भोजन में मिला कर बनाया जाता है जो अमृत के समान माना जाता है. औषधीय वृक्ष आंवला को वैज्ञानिकों ने भी गुणकारी माना है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है