बेंगाबाद : लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की अकथ कथाओं का सिलसिला जारी है. सैकड़ों किमी सड़कों को पैदल नापती इस भूखी-प्यासी भीड़ में सबकी अपनी कहानी है. महाराष्ट्र के नासिक से मध्यप्रदेश के सतना के लिए पैदल चली शकुंतला ने 180 किमी पैदल चलने के बाद बच्चे को जना और उसके बाद 150 किमी पैदल चल दिया. इस दर्दनाक घटना को दो दिन भी नहीं हुए कि धनबाद से जमुई के लिए पैदल चली कविता को बेंगाबाद के टॉल प्लाजा के पास बच्ची जन, लेकिन पल भर में नवजात की मौत हो गयी.
ट्रक-ऑटो से पहुंचे बेंगाबाद : जानकारी के मुताबिक धनबाद के झारखंड मोड़ में जमुई लक्ष्मीपुर के कई मजदूर बाल बच्चों के साथ कई वर्षों से मजदूरी कर रहे थे. पीड़िता कविता के पति दीपक मांझी ने बताया कि लॉकडाउन में काम बंद हो जाने से सभी लौटने के उपाय में लग गये. कोई साधन नहीं मिला तो सभी 47 सदस्य (जिसमें दो गर्भवती महिला) वहां से पैदल ही जमुई के लिए गुरुवार की सुबह निकल पड़े. ट्रक-ऑटो से सभी को बेंगाबाद तक आ गये. उसने बताया कि ऑटो चालक ने बेंगाबाद से तीन किमी दूर दुधीटांड़ टॉल प्लाजा के पास ही उतार दिया. असहाय मजदूर टॉल प्लाजा से थोड़ी दूर ही आये कि गर्भवती कविता देवी पति दीपक मांझी को प्रसव पीड़ा होने लगी.
दीपक ने बताया कि पत्नी आगे जाने में समर्थ नहीं थी और उसने सड़क किनारे ही एक बच्ची को जन्म दे दिया. हालांकि जन्म के कुछ ही देर में बच्ची की मौत हो गयी.गर्भवती महिलाओं का कराया गया इलाज : इधर, सूचना मिलने पर प्रशासन हरकत में आया. एसडीएम प्रेरणा दीक्षित बेंगाबाद पहुंची. पीड़िता के अलावे एक अन्य गर्भवती को इलाज के लिए प्रशासन की देखरेख में सरकारी अस्पताल भेजा गया. इसके अलावे सभी मजदूरों को बेंगाबाद सर्कस मैदान लाया गया. उपचार के बाद महिलाओं को एंबुलेंस से, जबकि अन्य मजदूरों को ट्रक से जमुई भेज दिया गया.
जनप्रतिनिधियों ने दिखाई मानवता : महिला मजदूर की रास्ते में डिलिवरी की खबर पर गांडेय विधायक डा. सरफराज अहमद ने स्थानीय प्रशासन को अविलंब पहल को कहा. बेंगाबाद प्रमुख रामप्रसाद यादव, उप प्रमुख उपेंद्र कुमार ने सभी मजदूरों को पानी व नाश्ता कराया.प्रशासन ने सभी को भेजा जमुई : सूचना पर एसडीएम प्रेरणा दीक्षित, बीडीओ कुमार अभिषेक सिंह बेंगाबाद के सर्कस मैदान पहुंचे. सभी मजदूरों को यहां पर भोजन व आवश्यक सामग्री दी गयी. महिला कविता देवी, पांच माह की गर्भवती कर्मी देवी और छोटे बच्चों को एंबुलेंस से, जबकि अन्य मजदूरों को ट्रक से जमुई रवाना किया गया.