जमुई. बिहार सरकार के शिक्षा विभाग का ऑटोनॉमस ऑर्गनाइजेशन बी-बॉस फेल परीक्षार्थियों के लिए बेहतर विकल्प के रूप में उभर रहा है. बिहार बोर्ड ऑफ ओपन स्कूलिंग एंड एग्जामिनेशन (बी-बाॅस) को आइसीएसई एवं सीबीएसई बोर्ड के समतुल्य मान्यता प्रदान की गयी है. इसके द्वारा मान्यता प्राप्त तकनीकी संस्थानों समेत सभी विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वैध है. इस संदर्भ में उप-समन्वयक कृष्ण कांत झा ने बताया कि जिन छात्र-छात्राओं की वर्षों से पढ़ाई छूटी हुई है, इसके बावजूद बी-बॉस से इच्छुक शिक्षार्थी मैट्रिक-इंटर कर सकते हैं. इसके लिए बोर्ड द्वारा निर्धारित शुल्क भुगतान कर संबंधित संकायों में विद्यार्थियों को नामांकन लेने की स्वतंत्रता है. ऐसे अभ्यर्थी जो किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड (आइसीएसई/सीबीएसई/स्टेट बोर्ड) की परीक्षा में फेल हो गये हों या रिजल्ट असंतोष जनक हो और कम-से-कम एक विषय में उत्तीर्ण हों वैसे छात्र-छात्राओं का नामांकन व पंजीयन फॉर्म भराया जा रहा है. इसकी परीक्षा सितंबर या अक्तूबर माह में होगी. इसमें उसी विषय की परीक्षा देनी होती है, जिसमें परीक्षार्थी फेल है या कम अंक प्राप्त किये हैं.
गिद्धौर हाई स्कूल है मुख्य केंद्र, सालों भर नामांकन का प्रावधान:
उप समन्वयक कृष्णकांत झा के मुताबिक, बिहार में तकरीबन 2 से 3 लाख बच्चों की बढ़ोतरी बोर्ड लेवल पर होती है, ऐसे में इस बार फेल होने वाले परीक्षार्थियों साढ़े 4 लाख एवं किसी अन्य कारणों से स्कूल छोड़ देने वाले बच्चों के लिए सरकार ने बी-बाॅस की व्यवस्था की है. समन्वयक बताते हैं कि इस बोर्ड में सालों भर नामांकन का प्रावधान है. गिद्धौर स्थित महाराज चंद्रचूड़ विद्या मंदिर इसका मुख्य अध्ययन केंद्र है, जहां इच्छुक छात्र-छात्रा नामांकन ले सकते हैं. वर्तमान सत्र में मैट्रिक-इंटर की परीक्षा देने को इच्छुक छात्र-छात्राएं अतिशीघ्र नामांकन करा जून व दिसंबर 2024 में एग्जाम दे सकेंगे. उन्होंने दावा किया कि वर्तमान शैक्षणिक परिदृश्य में समय और साल बचाने के लिए बी-बाॅस का दूसरा कोई विकल्प नहीं है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है