बिहार में कम होते जा रहे जामुन, कटहल, बेल और नींबू के पेड़, सरकार कर रही सब्सिडी देने पर विचार

कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने कहा कि जामुन, कटहल, बेल, नींबू का गुणवत्तापूर्ण पौधे बिहार में कम होते जा रहे है. इसे नये क्षेत्र में बढ़ावा देने की आवश्यकता है. प्रत्येक जिले में जरूरत के अनुसार पौधों की उपलब्धता के लिए कार्य किया जा रहा है. मखाना के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करने की बात कही.

By Ashish Jha | September 20, 2023 9:23 PM

पटना. कृषि विभाग की ओर से बुधवार को बामेती, पटना के सभागार में सीड हब तथा बीज उत्पादन एवं उद्यानिक फसलों को लेकर परिचर्चा की गयी. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने कहा कि जामुन, कटहल, बेल, नींबू का गुणवत्तापूर्ण पौधे बिहार में कम होते जा रहे है. इसे नये क्षेत्र में बढ़ावा देने की आवश्यकता है. प्रत्येक जिले में जरूरत के अनुसार पौधों की उपलब्धता के लिए कार्य किया जा रहा है. मखाना के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करने की बात कही. कहा कि उद्यानिक फसलों से किसानों की आय में वृद्धि की जा सकती है. मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार डॉ मंगला राय ने कहा कि फसलों का चयन जिले की भौगोलिक स्थिति व जलवायु के अनुसार करें. उन्होंने तकनीक पर आधारित बागवानी फसलों पर कार्य करने की सलाह दी.

राज्य की जीडीपी में 19 फीसदी कृषि का योगदान

कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि राज्य में लगभग 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उद्यानिक फसलों की खेती की जाती है. जिसमें, बढ़ोत्तरी की आपार संभावनाएं हैं. राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 19 प्रतिशत है, जिसमें बागवानी का योगदान लगभग 30 प्रतिशत है. कहा कि बाजार की मांग के अनुसार योजना बनाएं. दक्षिण बिहार में आंवला तथा अमरूद का क्षेत्र विस्तार करना होगा. अभी तक उद्यानिक फसलों की खेती उत्तरी बिहार तक ही सीमित थी.

केला की डिमांडिंग प्रभेदों पर बन रहा प्लान

सचिव ने कहा कि राज्य के विशिष्ट केला मालभोग, चीनियां तथा बतीसा जैसे प्रभेदों के पौधरोपण सामग्री का प्रोटोकाॅल तैयार करने की जवाबदेही कृषि विश्वविद्यालयों को दी गयी है. इन प्रभेदों के केला में पनामा बिल्ट रोग नहीं लगता है. नौ प्रभेदों में पनामा बिल्ट एक समस्या है. मालभोग और बतीसा स्वादिष्ट होने के कारण इसकी मांग अधिक है. मौके पर कृषि निदेशक डॉ आलोक रंजन घोष, संयुक्त सचिव अनिल कुमार झा, संयुक्त सचिव संजय कुमार सिंह, निदेशक, उद्यान अभिषेक कुमार, संयुक्त सचिव शैलेंद्र कुमार, अपर निदेशक (शष्य) धनंजयपति त्रिपाठी, डॉ संजय कुमार, निदेशक, भारतीय बीज विज्ञान संस्थान, मऊ आदि मौजूद थे.

सरकार कर रही सब्सिडी देने पर विचार

बिहार में खेती- किसानी करने वाले लोगों के लिए खुशखबरी है. उन्हें बिहार सरकार बागवानी करने पर बंपर सब्सिडी देगी. इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने सारी तैयारी कर ली है. नीतीश सरकार का मानना है कि पारंपरिक फसलों के साथ- साथ अगर प्रदेश के किसान बागवानी की खेती करते हैं, तो उनकी आमदनी बढ़ जाएगी. यही वजह है कि बिहार सरकार ने एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत कटहल का रकबा विस्तार करने का प्लान बनाया है.

ऐसे करें ऑनलाइन अप्लाई

खास बात यह है कि प्रदेश में कटहल की खेती करने पर सरकार किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी राशि देगी. इसके लिए सरकार ने इकाई लागत प्रति हेक्टेयर 60 हजार रुपये निर्धारित की है. इसके ऊपर से सरकार किसानों को 50 फीसदी अनुदान देगी. यानि के अगर बिहार में किसान एक हेक्टेयर में कटहल की खेती करते हैं, तो उन्हें सरकार की तरफ से 30 हजार रुपये फ्री में दिए जाएंगे. बस इसके लिए किसानों को उद्यान निदेशालय के आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन करना होगा. अगर किसान भाई इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, तो http://horticulturebihar.gov.in पर जाकर ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं.

इस तरह उठाएं सब्सिडी का लाभ

बिहार सरकार सिर्फ कटहल की खेती पर ही सब्सिडी राशि नहीं दे रही है, बल्कि अन्य बागवानी फसलों की खेती के ऊपर भी बंपर अनुदान दे रही है. फिलहाल, बिहार सरकार प्रदेश में जामुन का रकबा भी बढ़ाना चाहती है. इसके लिए उसने किसानों को सब्सिडी देने का ऐलान किया है. जो किसान योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, वे उद्यान निदेशालय की आधिकारिक वेबसाइट http://horticulturebihar.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं.

इकाई लागत 60 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर निर्धारित की है

खास बात यह है कि कटहल की तरह जामुन की खेती के लिए भी बिहार सरकार ने इकाई लागत 60 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर निर्धारित की है. अगर किसान भाई एक हेक्टेयर में जामुन की खेती करते हैं, तो उन्हें 60 हजार रुपये के ऊपर 50 प्रतिशत सब्सिडी मिलगी. यानि कि किसानों को 60 हजार में से 30 हजार रुपये सरकार की तरफ से फ्री में दिए जाएंगे. ऐसे में किसानों को महज 30 हजार रुपये ही लोन के रूप में वापस करना होगा.

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