Bihar Caste Census: जाति गणना को लेकर बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. राज्य सरकार की ओर से गुरुवार को एसएलपी (विशेष याचिका) दायर की गयी. एसएलपी में कहा गया कि बिहार सरकार को राज्य में जाति गणना का काम पूरा करने दिया जाये. सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से और क्या कहा गया है ये भी जानिए..
सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार के वकील मनीष सिंह की ओर से दायर एसएलपी में यह कहा गया कि प्रदेश में पहले चरण का जाति गणना का कार्य पूरा हो चुका है. दूसरे चरण में करीब 80 फीसदी काम पूरे कर लिये गये हैं. ऐसी स्थिति में सरकार को यह कार्य पूरा कर लेने दिया जाये. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने की गुहार लगायी गयी है. सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार के वकील मनीष सिंह ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से दायर इस याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई होने की उम्मीद है.
राज्य सरकार के वकील ने बताया कि पटना उच्च न्यायालय ने जाति गणना पर तत्काल अंतरिम रोक लगाते हुए तीन जुलाई को सुनवाई करने का आदेश जारी किया है. राज्य सरकार ने इंटरलोकेट्री एप्लीकेशन के माध्यम से तीन जुलाई के पूर्व सुनवाई करने का अनुरोध किया था. लेकिन, कोर्ट इसके लिए तैयार नहीं हुआ और राज्य सरकार की याचिका खारिज हो गयी. हाइकोर्ट ने कहा था कि यदि सरकार को लगता है कि उच्च न्यायालय का फैसला गलत है, तो वह सुप्रीम कोर्ट जा सकती है. इसी कारण से राज्य सरकार की ओर से एसएलपी दायर की गयी है.
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बता दें कि जातीय गणना को लेकर बिहार में सियासी घमासान मचा हुआ है. विपक्ष सरकार को कानून बनाकर ये काम कराने की मांग कर रही है. वहीं पटना हाईकोर्ट ने अंतरिम फैसले के तहत जाति जनगणना के काम पर रोक लगवा दी है. आगामी 3 जुलाई को इसपर हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. बिहार सरकार इस तिथि से पहले ही सुनवाई की आग्रह कर रही है.
Published By: Thakur Shaktilochan