‘बिहार में सर्वेक्षण के नाम पर जनगणना का प्रयास!’ हाईकोर्ट ने समझाया दोनों में अंतर, तेजस्वी का जवाब जानिए..

बिहार में जाति आधारित गणना (jati janganana bihar 2023) का काम हाईकोर्ट की ओर से रोक दिया गया है. वहीं जब इस मामले की सुनवाई हुई तो कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की और कहा कि सर्वेक्षण के नाम पर जनगणना के प्रयास के रूप में इसे देखा जा सकता है. जानिए तेजस्वी क्या बोले..

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 5, 2023 8:08 AM

jati janganana bihar 2023: बिहार सरकार के द्वारा करायी जा रही जाति गणना पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी.इसे तत्काल प्रभाव से रोकने का आदेश दिया गया. गुरुवार को पीठ ने दोपहर बाद अपना अंतरिम फैसला सुनाया. जिसके बाद अब सामान्य प्रशासन की ओर से सभी डीएम को निर्देश दिए गए हैं कि जिलों में जातिय गणना (caste based census in bihar) के सेकेंड फेज का काम तत्काल रोक दिया जाए. वहीं इसे लेकर अब सियासी घमासान भी छिड़ गया है. तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने जहां इसे जनगणना नहीं बल्कि सर्वे बताया तो अदालत ने बेहद सख्त टिप्पणी कर कहा कि ये सर्वेक्षण के नाम पर जनगणना का प्रयास है.

बोले तेजस्वी, होकर रहेगी ये गणना

हाईकोर्ट ने जब जातिय गणना पर तत्काल रोक लगायी तो बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए साफ किया कि आज नहीं तो कल जातिगत गणना होगी. सभी राज्यों में इसकी जरूरत है. महागठबंधन सरकार जातिगत गणना कराने के लिए प्रतिबद्ध है. किसी एक जाति के लिए नहीं, बल्कि सभी के विकास के लिए जातीय गणना कराने का फैसला लिया गया था.

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ये कोई जाति गणना नहीं था बल्कि सर्वे- तेजस्वी

तेजस्वी यादव ने कहा कि हाइकोर्ट के फैसले का अध्ययन किया जायेगा. राज्य के विकास के लिए जरूरी है. उन्होंने कहा कि ये कोई जाति गणना नहीं था बल्कि सर्वे था. ये सरकार का ना तो अंतिम और ना ही पहला सर्वे है.

सर्वेक्षण के नाम पर जनगणना का प्रयास : कोर्ट

वहीं बिहार में जातिय गणना पर रोक लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि जनगणना और सर्वेक्षण के बीच आवश्यक अंतर यह है कि जनगणना सटीक तथ्यों और सत्यापन योग्य विवरणों के संग्रह पर विचार करता है. जबकि सर्वेक्षण का उद्देश्य आम जनता की राय और धारणाओं का संग्रह और उनका विश्लेषण करना है. एकत्र किए गए आंकड़े के विश्लेषण में दोनों परिणाम जो जनगणना के मामले में अनुभवजन्य हैं. जबकि सर्वेक्षण में ज्यादातर तार्किक निष्कर्ष होते हैं. राज्य द्वारा वर्तमान कवायद को केवल सर्वेक्षण के नाम पर जनगणना करने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है.

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