Jayaprakash Narayan की जयंती पर भाजपा के साथ- साथ अन्य सभी राजनीतिक पार्टियों के द्वारा कई आयोजन किये जा रहे हैं. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जेपी के गांव सिताब दियारा आ रहे हैं. बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और जेपी आंदोलन के वक्त छात्र संघ के महासचिव रहे सुशील कुमार मोदी बताते हैं कि जेपी का आंदोलन केंद्र में कांग्रेस की सरकार, भ्रष्टाचार और जनता की समस्याओं को लेकर था. इस आंदोलन से नेता बने नीतीश कुमार और लालू यादव ने जयप्रकाश नारायण को निराश किया है. लालू यादव चारा घोटाला जैसे भष्टाचार में सजा पा चुके हैं. जबकि नीतीश कुमार ने कांग्रेस के साथ जाकर सरकार बनाया. क्या इसे सिद्धांत की राजनीति कहेंगे.
सुशील मोदी ने बताया कि लालू प्रसाद छात्र संघ के अध्यक्ष थे. ऐसे में उन्हें विवि की तरफ से सरकारी टेलीफोन मिला था. छात्र आंदोलन ने दौरान उन्होंने खुद फोन करके कई जिलों में कहा कि लालू यादव को गोली लग गयी है. वो मर गए हैं. ऐसे में अन्य जिलों में भी छात्र हिंसक हो गए. वहां भी सरकार को सख्त कार्रवाई करनी पड़ी. संसाधन की कमी की वजह से ऐसे अफवाह को क्रॉसचेक भी किया जाना संभव नहीं था. उन्होंने बताया कि उस वक्त इस तरह की कई गलत खबर छात्रों के बीच प्रसारित कर दी जाती थी. एक बार रांची में खबर चल गई कि मेरी मौत हो गयी है. बकायदा इसके लिए फिरायालाल चौक पर श्रद्धांजलि सभा का भी आयोजन किया गया. हालांकि, जेपी के आने के बाद हिंसा एकदम से बंद हो गयी. पूरे आंदोलन को नयी दिशा मिली.
18 मार्च 1974 को आयोजित छात्र आंदोलन में केवल सीपीआईएम और कांग्रेस को छोड़कर बाकि सभी छात्र संघ शामिल हुए. छात्रों के द्वारा विधानसभा मार्च के दौरान हिंसा हुई. पुलिस प्रशासन ने कई जगह लाठीचार्ज और गोलियां चलायी. इसमें कई छात्रों की मौत हुई. बाद में संघ के नेताओं को लगा कि अब संघर्ष को जारी रखना उनके वस में नहीं. ऐसे में उन्होंने जयप्रकाश नारायण से मोर्चा संभालने का अनुरोध किया. उनके नेतृत्व संभालने के बाद आंदोलन की पूरी दिशा बदल गयी. राज्यव्यापी आंदोलन देशव्यापी हो गया. इंदिरा गांधी अपने बेटे संजय गांधी के साथ चुनाव हार गयीं. देश में आपातकाल लगा. जेपी की हुंकार काफी ताकतवर थी.