Loading election data...

Jayaprakash Narayan: 18 मार्च को कैसे उग्र हो गया छात्र आंदोलन, उस वक्त के डीएम से जानें पल-पल की कहानी

18 मार्च 1974 को छात्र संघ के द्वारा विधानसभा का घेराव किया जा रहा था. ऐसे में प्रशासन अलर्ट मोड पर था. उस वक्त के पटना के तत्कालीन डीएम वीएस दुबे बताते हैं कि सरकार की तरफ से साफ आदेश था कि छात्रों के साथ सख्ती नहीं करना है. मगर जब आगजनी शुरू हो गयी तो मैंने स्वविवेक से काम किया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 8, 2022 1:32 PM

18 मार्च 1974 को छात्र संघ के द्वारा विधानसभा का घेराव किया जा रहा था. ऐसे में प्रशासन अलर्ट मोड पर था. उस वक्त के पटना के तत्कालीन डीएम वीएस दुबे बताते हैं कि सरकार की तरफ से साफ आदेश था कि छात्रों के साथ सख्ती नहीं करना है. विधानसभा के बजट सत्र का पहला दिन था. छात्रों का एक बड़ा समूह विधानसभा की तरफ बढ़ रहा था. पहले विधानसभा को केवल घेरने की बात थी. मगर फिर वो विधानसभा में घुसने की कोशिश करने लगे. छात्रों की कोशिश थी कि अंदर बैठे जन प्रतिनिधियों को खिंचकर सड़क पर लाया जाए. छात्रों को ऐसा करने से रोक दिया गया. इसका बाद छात्रों का उपद्रव शुरू हो गया. नूतन पटना नगर निगम सहित राजस्थान होटल, मुखर्जी का पेट्रोल पंप, सर्चलाइट प्रेस आदि को जलाया गया. देखते-देखते पूरे शहर में दंगे जैसा माहौल हो गया. ऐसे में मैंने तय किया सरकार का आदेश से अलग, वर्तमान स्थिति में बल प्रयोग जरूरी है. हमने कई स्थान पर लाठीचार्ज किया. कुछ स्थानों पर गोली भी चलानी पड़ी.

जेपी के जुलूस पर चल गयी गोली

वीएस दूबे बताते हैं कि जेपी का आंदोलन सरकार को हटाने के लिए था. ऐसे में उन्हें हस्ताक्षर अभियान चलाया. इसके बाद गांधी मैदान में एक बड़े रैली का आयोजन किया गया. इसमें करीब चार लाख लोग शामिल हुए. वहां से एक जुलूस निकला जिसके आगे पांच बड़े ट्रक में भर सरकार को हटाने के लिए हस्ताक्षर किए पोस्ट कार्ड या पत्र थे. जेपी ने शांति से राज्यपाल को ये पत्र सौंप दिया. जब वो वापस आ रहे थे तो हड़ताली मोड़ के पास कुछ असामाजिक तत्वों ने जुलूस के पिछले हिस्से पर गोली चला दी. इसमें कई लोग घायल हुए.

जेपी के कहने से टल गया पटना में बड़ा दंगा

गोली चलने की घटना जंगल के आग की तरह लोगों में फैली. जुलूस में तेजी से कई तरह के अफवाह फैलने लगा. प्रशासन को ऐसा अंदाजा था कि 18 मार्च वाली घटना फिर हो सकती है. जेपी गांधी मैदान में संबोधित करने वाले थे. मैंने उन्हें एक प्रेस नोट भिजवाया कि आपके जुलूस पर जिन लोगों ने गोली चलायी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है. कोई मौत नहीं है. कृपया इस बात की घोषणा आप अपने भाषण में कर दें. ताकि शहर की शांति व्यवस्था भंग न हो. जेपी की घोषणा के बाद सभा खत्म हुई और एक पत्ता भी शहर में नहीं खड़का. लोगों के बीच जेपी का जादू महात्मा गांधी से कम नहीं था.

Next Article

Exit mobile version