जयप्रकाश नारायण जब 56 धोतियों का रस्सा बनाकर जेल से हुए थे फरार, देखते ही गोली मारने का था फरमान
Jayaprakash Narayan Jayanti: लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती हर साल की तरह इस साल भी 11 अक्टूबर को मनायी जा रही है. जेपी ने आजादी के दिनों में अंग्रेजों के नाकों में दम कर दिया था. जब उन्हें हजारीबाग जेल में बंद कर दिया गया तो वो धोती की मदद से भाग गये.
Jayaprakash Narayan Jayanti: आज 11 नवंबर को लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती है. जब बात छात्र आंदोलन की हो या बात सियासी गलियारे में सत्ता की हनक मिटाने या संघर्ष की हो तो उदाहरण जेपी का जरुर पेश किया जाता है. बिहार के सारण जिला स्थित सिताब दियारा में जयप्रकाश नारायण का जन्म हुआ. उन्होंने उच्च शिक्षा अमेरिका जाकर प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में ली. भारत लौटने पर आजादी की जंग में कूदे जयप्रकाश एकबार जेल से फरार भी हो गये.
हजारीबाग जेल में बंद किये गये जेपी
जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में चले जेपी आंदोलन ने केंद्र की इंदिरा गांधी सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया था. जेपी की कुछ कहानियां आजादी के पहले की भी है जिसे आज याद किया जाता है. ऐसा ही एक वाक्या है हजारीबाग का जो तब संयुक्त बिहार का ही हिस्सा था. अंग्रेजों के नाक में दम कर देने वाले जयप्रकाश को जब यहां के जेल में बंद कर दिया गया तो वो गोरों को चकमा देकर अपने अन्य साथियों के साथ जेल से फरार हो गये थे.
अंग्रेजों की आंखों में कांटों की तरह चुभने लगे जेपी
हजारीबाग जेल का नाम लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारागार है. इसके नामांकरण के पीछे की बड़ी वजह स्वयं जेपी ही हैं. दरअसल, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बनने पर जेपी अंग्रेजों की आंखों में कांटों की तरह चुभने लगे थे. 1942 में जब देश में भारत छोड़ो आंदोलन अपने चरम पर था जेपी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लगातार मुहिम छेड़ने लगे थे. इससे पहले कई बार उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी लेकिन जेल के अंदर भी वो अपने इरादे के मुताबिक काम करते रहे. अंग्रेजों ने जेपी को गिरफ्तार कर पहले मुंबई की आर्थर जेल फिर दिल्ली की कैंप जेल में रखा. इसके बाद उन्हें हजारीबाग के जेल में बंद कर दिया गया. लेकिन जेपी यहां से जेल की दीवार को फानकर भाग निकले थे.
56 धोतियों का इस्तेमाल करके जेल से भागे
अपने पांच साथियों के साथ जेपी इस जेल से भाग निकले. कहा जाता है कि जेल की 17 फीट ऊंची दीवार को 56 धोतियों का इस्तेमाल करके सभी भागे थे. महात्मा गांधी ने तब भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी. बौखलाए अंग्रजों ने जेल से फरार इन 6 क्रांतिकारियों को जिंदा या मुर्दा पकड़ने का फरमान जारी कर दिया था और पकड़ने वाले को 10 हजार रुपये का इनाम देने की घोषणा कर दी थी. जेपी तब करीब 40 वर्ष के थे.
Posted By: Thakur Shaktilochan