jayaprakash narayan- जब JP के हुंकार से इंदिरा भी डोल गई,उसकी शुरुआत पटना में ‘संपूर्ण क्रांति’ से हुई थी

इंदिरा गांधी और इमरजेंसी इन दोनों के नाम सुनते ही जयप्रकाश नारायण ज़ेहन में आ जाते हैं. पांच जून, 1975 को पटना के गांधी मैदान में एक बड़ी रैली में जयप्रकाश नारायण ने ‘संपूर्ण क्रांति’ का ऐतिहासिक आह्वान किया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 9, 2022 6:17 AM
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पटना. 11अक्तूबर, 1902 को उत्तर प्रदेश व बिहार की सीमा पर स्थित, बलिया व सारण जिलों के बीच बंटे और अनूठी भौगोलिक स्थिति के स्वामी सिताब दियारा गांव में जन्म लेकर 1979 में 8 अक्तूबर को पटना में अपने 77वें जन्मदिन से तीन रात पहले मधुमेह व हृदयरोग से हारकर अंतिम सांस लेनेवाले लोकनायक जयप्रकाश नारायण (जेपी) के लंबे सार्वजनिक जीवन के इतने आयाम हैं कि सभी को पन्नों पर उकेरा नहीं जा सकता है.

जयप्रकाश नारायण इसलिए जाने जाते हैं

इंदिरा गांधी और इमरजेंसी इन दोनों के नाम सुनते ही जयप्रकाश नारायण ज़ेहन में आ जाते हैं. इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रीकाल तक जयप्रकाश नारायण इस नतीजे पर पहुंच चुके थे कि भ्रष्टाचार, बेरोजगारी व अशिक्षा आदि की समस्याएं इस व्यवस्था की ही उपज हैं और तभी दूर हो सकती हैं, जब संपूर्ण व्यवस्था बदल दी जाये और, संपूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए क्रांति, ‘संपूर्ण क्रांति’ आवश्यक है. उनकी संपूर्ण क्रांति में सात क्रांतियां शामिल थीं- राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक क्रांति.

जयप्रकाश नारायण ने ‘संपूर्ण क्रांति’ का ऐतिहासिक आह्वान किया

देश की सबसे बड़ी सेवा उन्होंने 1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मनमानियों के खिलाफ छात्र असंतोष के रास्ते शुरू हुए व्यापक आंदोलन का नेतृत्व करके की. इसी दौरान पांच जून, 1975 को पटना के गांधी मैदान में एक बड़ी रैली में जयप्रकाश नारायण ने ‘संपूर्ण क्रांति’ का ऐतिहासिक आह्वान किया. इसके बाद 25 जून, 1975 को जेपी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में नागरिकों और सरकारी अमलों/बलों से उनके असंवैधानिक आदेशों की अवज्ञा की अपील कर दी.

श्रीमती गांधी ने देश पर इमरजेंसी थोप दी

जेपी के इस आवाज के बाद सहमी श्रीमती गांधी ने देश पर इमरजेंसी थोप दी, और जेपी समेत लगभग सारे विपक्षी नेताओं को जेल में ठूसकर नागरिकों के संविधानप्रदत्त मौलिक अधिकार छीन लिये. गैरकांग्रेसवाद का सिद्धांत भले ही डॉ लोहिया ने दिया था, उसकी बिना पर कांग्रेस की केंद्र की सत्ता से पहली बेदखली 1977 में जेपी के जरिये ही संभव हुई, जब मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी.

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