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जयप्रकाश नारायण की पत्नी प्रभावती ने लिया था ब्रह्मचर्य का व्रत, जानें गांधी जी ने क्या दिये थे सलाह

Jayaprakash Narayan: सुजाता प्रसाद ने लिखा है कि आश्रम में रहते-रहते प्रभावती और गांधी जी के संबंधों में मजबूती आ गई थी. जयप्रकाश नारायण की लंबी अनुपस्थिति और लंबे समय तक उनके पत्र न लिखने की आदत ने उन्हें अकेला और उदास बना दिया था.

Jayaprakash Narayan: जयप्रकाश नारायण पर सुजाता प्रसाद के द्वारा लिखी गयी किताब ‘द ड्रीम ऑफ़ रिवोल्यूशन’ में बताया गया है कि जयप्रकाश नारायण की पत्नी प्रभावती ब्रह्मचर्य का व्रत लिया था. जयप्रकाश नारायण की पत्नी प्रभावती महात्मा गांधी से काफी प्रभावित थीं. जयप्रकाश नारायण की पत्नी प्रभावती एक तरह से गांधी की पूजा करती थीं और ताउम्र उनकी सबसे बड़ी भक्त भी रहीं. प्रभावती ने गांधी के साथ अपना बहुत समय साबरमती आश्रम में बितायी थी. गांधी और कस्तूरबा दोनों उन्हें बहुत मानते थे. सुजाता प्रसाद आगे बताया है कि जयप्रकाश नारायण और प्रभावती का विचार मेल नहीं खाता था. लेकिन उनका जेपी पर इतना असर पड़ा कि उन्होंने जेपी को गांधी का मुरीद बना दिया.

प्रभावती प्रतिदिन लिखती थी डायरी

सुजाता प्रसाद ने लिखा है कि आश्रम में रहते-रहते प्रभावती और गांधी जी के संबंधों में मजबूती आ गई थी. जयप्रकाश नारायण की लंबी अनुपस्थिति और लंबे समय तक उनके पत्र न लिखने की आदत ने उन्हें अकेला और उदास बना दिया था. उस समय गांधी ने उनको उस स्थिति से उबारा और उनके जीवन में एक तरह से पिता की भूमिका निभाई. गांधी जी उनके लिए पितातुल्य थे. गांधी जी के कहने पर प्रभावती ने प्रतिदिन डायरी लिखना शुरू कर दिया था. वे प्रतिदिन सुबह प्रार्थना के लिए चार बजे से पहले उठ जाती थीं. वे गांधी के साथ टहलने जाती थीं और उनके पैरों में मालिश किया करती थीं.

प्रभावती ने जेपी से बिना पूछे अपनाया ब्रह्मचर्य

प्रभावती गांधी जी की तरफ खिंचती चली गईं. जब वो 1929 में बंगाल और बर्मा की यात्रा के लिए निकले तो वो बहुत निराश हुईं. गांधी जी ने मार्च, 1929 में कोलकाता से उन्हें झिड़कते हुए एक पत्र लिखा, “तुम्हारी इस तरह की घबराहट से मुझे तकलीफ पहुंची है. तुम्हें इससे छुटकारा पाना ही होगा. मैं तुमसे ठोस काम तभी करवा सकता हूं जब तुम कहीं भी अपने बूते पर रहने के लिए सक्षम हो जाओ. गांधी जी ने प्रभावती से जयप्रकाश नारायण के साथ अपने संबंधों पर काम करने और उनके राजनीतिक विचारों को समझने के लिए एक ईमानदार कोशिश करने के लिए भी कहा. जयप्रकाश नारायण की अनुपस्थिति में प्रभावती ने अपने आप ही ब्रह्मचर्य का व्रत भी ले डाला. उस समय उनकी उम्र 22 साल की रही होगी.

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