बिहार का सियासी समीकरण जब से बदला है तब से भाजपा और जदयू एकदूसरे के आमने-सामने है. एक के बाद एक करके मुद्दे सामने आते हैं और दोनों दलें एक दूसरे पर हमलावर रहती है. बिहार में मौसम ने अब करवट ले ली है और सूबे का तापमान अब घटने लगा है. प्रदेश में ठंड ने दस्तक दे दी है. लेकिन रविवार को बिहार का सियासी पारा चढ़ा रहेगा. पटना का तापमान जदयू के ‘भीम संसद’ आयोजन को लेकर हाई रहेगा. जदयू इस आयोजन के जरिए भाजपा पर हमला बोलेगी. बीजेपी को दलित विरोधी और संविधान विरोधी बताने वाली जदयू ने इस कार्यक्रम में करीब दो लाख लोगों के जुटने का दावा किया है. राजधानी पटना में बड़ी तादाद में लोगों के आने की संभावना को देखते हुए ट्रैफिक व्यवस्था तक में बड़ा बदलाव किया गया है. पिछले कुछ दिनों से जदयू के दिग्गज नेता लगातार जनसंपर्क करके लोगों को आमंत्रित कर रहे थे. शनिवार देर रात तक आयोजन स्थल का मुआयना बड़े नेता भी करते देखे गए.
बिहार की राजनीति इन दिनों कुछ अधिक गरमायी हुई है. एकतरफ जहां भाजपा और जदयू की राहें अलग हुई तो सूबे का सियासी समीकरण बदल गया. भाजपा विपक्षी पार्टी हो गयी तो राजद और कांग्रेस समेत महागठबंधन सत्ता में आ गयी. जदयू खुद को एनडीए से अलग करके महागठबंधन का हिस्सा बन गयी. वहीं हाल में ही नीतीश सरकार के द्वारा कराए गए जातीय सर्वे के जब आंकड़े सामने आए तो सूबे की सरकार ने बड़ा फैसला ले लिया. प्रदेश में आरक्षण की सीमा जो 60 प्रतिशत थी उसे बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया. सर्वे के आंकड़े में पिछड़े व अतिपिछड़ों की स्थिति को देखते हुए इसे आधार बनाकर यह फैसला लिया गया. वहीं जदयू ने आरक्षण का दायरा बढ़ाकर अब इसे संविधान की 9वीं अनुसूचि में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है ताकि आरक्षण की नयी नीति को अदालत की चुनौती नहीं दी जा सके. जदयू भाजपा को दलित विरोधी बताती आयी है. और अपने इस प्रस्ताव से जदयू ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की है.
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बिहार सरकार में भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी सीएम नीतीश कुमार के करीबी नेताओं में एक माने जाते हैं. भीम संसद के आयोजक अशोक चौधरी ही हैं और उन्होंने इस संसद के आयोजन की वजह भी बतायी है. अशोक चौधरी का दावा है कि बिहार में पहली बार दलित और महादलित समुदाय के लिए इस तरह का संसद लगाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इसमें हमारा समाज पिछड़ा क्यों रह गया? इसे आगे कैसे बढ़ाया जाए? इस पर चर्चा की जायेगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाज के अंतिम तबके के लोगों के उत्थान के लिए चिंतित रहते हैं. उनके आदेश पर ही इस भीम संसद का आयोजन किया जा रहा है.
गौरतलब है कि जदयू की इस भीम संसद के लिए जो बैनर-पोस्टर आदि लगाए गए हैं उसमें साफ शब्दों में लिखा है कि ‘आरक्षण एवं दलित विरोधी चेहरे को बेनकाब करने हेतु- भीम संसद एवं सम्मान समारोह’ यानी यह साफ है कि जदयू इस भीम संसद के जरिए भाजपा पर निशाना साधेगी. बता दें कि भीम संसद का आयोजन भी संविधान दिवस के ही दिन हो रहा है. बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान से छेड़छाड़ व उसे बदलने की नीयत का आरोप भाजपा पर जदयू लगातार लगायी आयी है. इस भीम संसद के जरिए भाजपा पर उसी दावे के तहत हमला किया जा सकता है.
बिहार में आरक्षण की नयी नीति लागू होने के बाद अब पिछड़ों व अति पिछड़ों के वोट बैंक पर भी निशाना जरूर साधा जाएगा. महागठबंधन लगातार भाजपा पर हमलावर भी रही है. जदयू के नेता आरक्षण का दायरा बढ़ाने का श्रेय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को देते हैं. इस भीम संसद का उद्घाटन खुद नीतीश कुमार ही कर रहे हैं. पूर्व में पंचायती रज व्यवस्था में अनुसूचित जाति के लोगों को आरक्षण देने और उन्हें सशक्त करने का दावा करके नीतीश कुमार को इस भीम संसद में सम्मानित भी किया जाएगा. जदयू इस भीम संसद के जरिए शक्ति प्रदर्शन करेगी और एकजुटता का दावा करेगी.
राजधानी पटना के वेटनरी कॉलेज मैदान में रविवार को भीम संसद में बड़ी संख्या में पहुंचे लोगों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मंत्री अशोक चौधरी, मंत्री सुनील कुमार, मंत्री रत्नेश सदा सहित अन्य मंत्री और कई गण्यमान्य लोग संबोधित करेंगे. करीब 11 बजे पूर्वाह्न से शुरू होने वाले इस कार्यक्रम को लेकर आयोजन स्थल पर करीब 75 हजार कुर्सियां लगायी गयी हैं. साथ ही समारोह स्थल में बड़ी संख्या में लोगों शामिल होने की व्यवस्था की गयी है. इस कार्यक्रम में डेढ़ से दो लाख लोगों के शामिल होने की संभावना है. इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए शनिवार शाम से ही राज्य के अलगअलग हिस्सों से लोग पटना पहुंचने लगे. उन सभी के खाने और रहने के लिए करीब 15 अलग-अलग जगहों पर व्यवस्था की गयी है. इसमें मुख्य रूप से जदयू पार्टी कार्यालय, मिलर स्कूल मैदान, परिवहन भवन परिसर, गर्दनीबाग, हार्डिंग रोड में दो-तीन मंत्रियों का आवास, वेटनरी कॉलेज के पास का परिसर, नेहरू पथ में दो-तीन मैरिज हॉल आदि शामिल है.