पीएम नरेंद्र मोदी की जाति पर जदयू ने उठाए सवाल, जानिए पहले भी जब छिड़ा विवाद तो क्या बोले थे प्रधानमंत्री..

पीएम नरेंद्र मोदी की जाति को लेकर एकबार फिर से सियासी घमासान बिहार में छिड़ा हुआ है. जदयू ने पीएम मोदी की जाति से जुड़े सवाल खड़े किए हैं. जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार ने प्रेस कांफ्रेंस के जरिए सवाल उठाए हैं.

By ThakurShaktilochan Sandilya | October 15, 2023 12:50 PM

PM Narendra Modi Caste Controversy: जदयू ने एकबार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लिया है और उनकी जाति को लेकर सवाल खड़े किए हैं. जिसे लेकर अब बिहार में सियासी घमासान मचा हुआ है. प्रदेश में सत्ताधारी गठबंधन के घटक दलों के नेताओं ने जदयू की ओर से खड़े किए गए सवाल का जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांगा है जबकि भाजपा की ओर से भी इसपर प्रतिक्रिया आयी है. दरअसल, जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जाति (Pm Modi Caste) को लेकर सवाल उठाया है और पूछा है कि आखिर वो कब अपनी जाति को अतिपिछड़ा में शामिल करा लिए. शनिवार को जदयू प्रदेश मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में जदयू नेता ने ये सवाल किए हैं.


जदयू ने पीएम मोदी की जाति को लेकर खड़े किए सवाल..

जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया है कि उन्होंने कब अपनी जाति को अतिपिछड़ा में शामिल करा लिया? उन्होंने कहा कि जब साल 1931 की जनगणना में मोढ़ घांची समुदाय में शिक्षा का स्तर 40 फीसदी था, तो ऐसे में किस आधार पर घांची समुदाय ओबीसी में शामिल हो गया? विधान पार्षद नीरज कुमार ने यह बातें शनिवार को जदयू प्रदेश मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहीं. इस दौरान पार्टी के अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष धर्मेंद्र चंद्रवंशी और बाल संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष शिव शंकर निषाद भी मौजूद थे.

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जदयू का क्या है आरोप, जानिए मांग..

पत्रकारों को संबोधित करते हुए पार्टी के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने प्रधानमंत्री का एक वीडियो क्लिप दिखाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने 27 अप्रैल, 2019 को उत्तर प्रदेश के कन्नौज में खुद को अतिपिछड़ा बताया था. उन्होंने कहा कि गुजरात में मोदी कोई जाति नहीं है, बल्कि उपनाम है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिस जाति में जन्म हुआ है, उस जाति का नाम मोढ़ घांची है. साल 2002 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री रहने के दौरान नरेंद्र मोदी ने मोढ़ घांची समुदाय को ओबीसी में शामिल किया. जदयू की ओर से गंभीर आरोप भी लगाए गए और कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जानबूझकर देश में जातिगत सर्वे नहीं कराना चाहते हैं. इससे उनकी जाति के नाम पर लिए गए राजनीतिक घालमेल का पता चल जाएगा. उन्होंने बताया कि पीएम मोदी का जन्म मोढ़ घांची जाति में हुआ है. जिसकी चर्चा साल 1931 की जनगणना में भी नहीं है. वर्ष 2002 में तत्कालीन गुजरात सीएम रहते पीएम मोदी ने मोढ़ घांची समुदाय को ओबीसी में शामिल किया. जदयू ने उस अधिसूचना की प्रति को जारी करने की मांग की है, जिसमें मोढ़ घांची को अतिपिछड़ा में शामिल किया गया.

भाजपा की ओर से आया बयान

वहीं बिहार में भाजपा के प्रवक्ताओं ने इस आरोप का जवाब दिया है. प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जाति का सर्टिफिकेट जदयू नहीं बल्कि भारत सरकार देती है. मोढ़ घांची को भारत सरकार ने ही ओबीसी में शामिल किया है. जदयू इसे हटा नहीं सकती है.

तेजस्वी व मायावती के बयान पर अरूण जेटली ने जब दी थी सफाई..

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जाति को लेकर पहले भी सियासी घमासान मच चुका है. वर्ष 2019 में इसपर सियासी दिग्गजों के बीच बयानबाजी खूब हुई थी. यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने पीएम मोदी को नकली ओबीसी कहा था और आरोप लगाए थे कि उन्होंने सीएम बनने के बाद अपनी जाति को ओबीसी में डाला. वहीं राजद नेता व बिहार के वर्तमान उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने तब पीएम मोदी को कागजी ओबीसी कहा था. वहीं पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी इसपर ट्वीट के जरिए प्रतिक्रिया दी थी और लिखा था कि आखिर पीएम की जाति की क्या प्रासंगिकता है? उन्होंने कभी जाति नहीं बल्कि विकास की राजनीति की है.


पीएम मोदी ने भी दी थी प्रतिक्रिया..

इस पूरे विवाद पर पिछले चुनाव के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से भी जवाब आया था और कन्नौज की एक रैली में उन्होंने कहा था कि मेरी जाति तो इतनी छोटी है कि गांव में एक-आधा घर भी नहीं होता. मैं तो पिछड़ा नहीं, अति पिछड़ा में पैदा हुआ. मायावती के बयान पर निशाना साधते हुए पीएम ने कहा था कि आप मेरे मुंह से बुलवा रही हैं इसलिए बोल रहा हूं. मुझे मेरे देश को अगड़ा बनाना है.

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