जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शनिवार को नई दिल्ली स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब के डिप्टी स्पीकर हॉल में हुई. देशभर से जदयू के अनेकों नेता इस बैठक में शामिल हुए. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गर्मजोशी से स्वागत पार्टी नेताओं ने पहले किया. इस बैठक में पार्टी के कद्दावर नेताओं ने भी हिस्सा लिया. बैठक में राजनीतिक और संगठन से जुड़े प्रस्ताव पेश किए गए. लोकसभा चुनाव में पार्टी अपने प्रदर्शन से उत्साहित दिखी और अब बिहार समेत देश के अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में हिस्सा लेने की तैयारी की बात कही गयी.
नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार चुनाव लड़ने का संकल्प
जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी नेताओं ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ने और जीतने का संकल्प लिया. लोकसभा चुनाव में संगठन के पदाधिकरियों और कार्यकर्ताओं के बीच तालमेल की प्रशंसा करते हुए सफलता का मार्ग यहीं से प्रशस्त होने की बात कही गयी. इस रणनीति को आगामी बिहार चुनाव में भी अपनाने की बात बैठक में हुई. अन्य राज्यों में होने वाले चुनाव की तरफ भी जदयू अब तैयारी करेगी. इसके लिए भी निर्देश दिए गए. कार्यकर्ताओं का मनोबल और उत्साह कैसे बढ़ेगा, इसकी बात की गयी.
झारखंड चुनाव में भी ताल ठोकेगी जदयू
जदयू ने इस बैठक में प्रस्ताव लाया कि आगामी झारखंड चुनाव भी जदयू मजबूती से लड़ेगी. कहा गया कि झारखंड में पहले भी जदयू के उम्मीदवार उतरे हैं और जीते भी हैं. झारखंड की उन सीटों को चिन्हित करने की बात कही गयी जहां प्रत्याशी उतारने की संभावना सबसे ज्यादा है. उसके बाद रणनीति बनाकर आगे तैयारी में जुटने की बात कही गयी. वहीं लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद तीसरी बार बनी नरेंद्र मोदी सरकार में जदयू की अहम भूमिका बतायी गयी.एनडीए की जीत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी गयी.
विशेष राज्य के दर्जे की भी मांग
जदयू की बैठक में बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में किए गए विकास कार्यों की बात करते हुए अब बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग का जिक्र प्रस्ताव में हुआ. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलने या विशेष पैकेज मिलने को प्रदेश की आवश्यकता बताया गया. बिहार के विकास में रफ्तार लाने के लिए इसकी मांग की गयी और इसे लेकर संकल्प लाया गया.
आरक्षण से जुड़े फैसले का भी जिक्र…
पार्टी ने पटना हाईकोर्ट के द्वारा हाल में आरक्षण की बढ़ी सीमा को रद्द करने पर चिंता जाहिर की. बताया गया कि इससे सरकारी नौकरी व रोजगार देने की प्रक्रिया में अड़चन आयी है. सर्वोच्च न्यायालय में बिहार सरकार के द्वारा इसपर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के फैसले की सराहना की गयी.