बिहार सरकार ने एक बार फिर से देश में जाति आधारित गणना या जनगणना कराने की मांग की है. शनिवार को राज्य के संसदीय सह वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने केंद्र सरकार से मांग की है कि रोहिणी आयोग की रिपोर्ट जल्द प्राप्त कर उसे जारी करे. साथ ही बिहार सरकार के अनुरोध को स्वीकार करते हुए जाति आधारित गणना या जनगणना कराने की पहल करे. उन्होंने कहा कि रोहिणी आयोग के प्रतिवेदन के संबंध में मीडिया में जो खबरें आई हैं, वह बिहार सरकार द्वारा जाति आधारित गणना कराने के फैसले को औचित्य प्रदान करता है.
जातियों की जानकारी के बिना आरक्षण का लाभ कैसे
मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी सरकार ने ही अक्टूबर, 2017 में दिल्ली की पूर्व मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी की अध्यक्षता में चार सदस्यीय आयोग का गठन किया था. इसका मुख्य उद्देश्य पिछड़े वर्गाें के लिए निर्धारित आरक्षण के लाभ में विभिन्न जातियों की हिस्सेदारी का अध्ययन करना था. रिपोर्ट के मुताबिक विभिन्न जातियों में आरक्षण के लाभ का फैलाव न्यायसंगत नहीं रहा है. इसके लिए आयोग ने इस वर्ग को चार उप-वर्गों में विभाजित कर सभी के लिए अलग-अलग आरक्षण प्रतिशत निर्धारित करने की सिफारिश की है. यह कार्य अलग-अलग जातियों के सामाजिक एवं आर्थिक सर्वेक्षण के बगैर कैसे किया जा सकता है.
जाति आधारित गणना का उद्देश्य सामाजिक-आर्थिक स्थिति का आकलन
मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि नीतीश सरकार द्वारा जाति आधारित गणना कराने का मुख्य उद्देश्य भी यही रहा है कि सभी जातियों के लोगों की सही संख्या के साथ उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति का विश्वसनीय आकलन हो सके. इसी सिलसिले में 21 अगस्त, 2021 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार का एक सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल भी प्रधानमंत्री से मिला था. इसमें रोहिणी आयोग के संबंध में भी चर्चा हुई थी. केन्द्र सरकार ने तो इस अनुरोध को ठुकरा ही दिया.
बिहार में जातिगत गणना कराने का निर्णय भी न्यायिक हस्तक्षेप से रुका
विजय चौधरी ने केंद्र सरकार से मांग की है कि देश में जनगणना में भी देरी हो रही है. ऐसे में केंद्र सरकार को अब चाहिए कि दोनों जातीय गणना व जनगणना दोनों एक साथ करा ले. उन्होंने कहा कि यह बात समझ नहीं आ रही कि जनगणना में आखिर देर क्यों हो रही है. उन्होंने कहा कि बिहार में जातिगत गणना कराने का निर्णय भी न्यायिक हस्तक्षेप से रुका हुआ है. रोहिणी आयोग की रिपोर्ट के संकेत से भी बिहार सरकार के निर्णय के औचित्य की पुष्टि होती है.
मणिपुर के मुद्दे पर भी बोले विजय चौधरी
वित्त मंत्री ने मणिपुर की घटना पर कहा कि ‘I.N.D.I.A’ गठबंधन के लोग वहां हालत का जायजा लेने जा रहे हैं. वहां के हालत की वो जानकारी देंगे. जिसके बाद विपक्ष के लोग सनसद में मणिपुर में हुई हिंसा और अभी के हालत पर अपनी बात कहेंगे. कटिहार की घटना पर बोलते हुए विजय चौधरी ने कहा कि वहां से जो बातें सामने आई हैं इससे यह स्पष्ट है कि काभी भी जांच के पहले बयान नहीं देना चाहिए. उन्होंने कहा जो भी दोषी होंगे उनपर कार्रवाई होगी, चाहे वो कोई अधिकारी ही क्यों न हो.
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केंद्र की अंधभक्ति में भ्रम फैला रहे हैं भाजपा नेता: विजय चौधरी
वहीं, वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने गुरुवार को कहा था कि केंद्र की अंधभक्ति में पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी सोच-समझकर भ्रम फैला रहे हैं. केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत सिर्फ बिहार के लिए नहीं, बल्कि सभी राज्यों के लिए जमा एकमुश्त राशि के रूप में किया गया है. इस 42 प्रतिशत की राशि का राज्यों के बीच बंटवारे के लिए जो मापदंड तय किये गये हैं, उसमें बिहार की हकमारी की गयी है. उनको पता है कि जब हिस्सा 32 प्रतिशत था तब बिहार को केंद्रीय करों का 10.9 प्रतिशत राशि मिलती थी और अब 42 प्रतिशत हो गया, तो बिहार की हिस्सेदारी घटकर 9.6 प्रतिशत हो गयी. इस कारण क्षैतिज हिस्सेदारी में 2015-16 से 2022-23 के बीच बिहार को 61 हजार करोड़ से अधिक राशि कम प्राप्त हुई. मोदी बतायेंगे कि क्या ये गलत है और ये हकमारी नहीं तो क्या है?