अनुराग प्रधान,पटना. प्रभात खबर में जेइइ मेन (मार्च-2021) प्रश्नपत्र लीक होने की खबर छपने के बाद सीबीआइ ने 20 से अधिक सेंटरों पर छापेमारी कर अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया है. प्रश्नपत्र लीक मामले में कई गिरोह शामिल हैं. इनमें से एक गिरोह के तीन लोगों को रिमांड में लेकर सीबीआइ दिल्ली में पूछताछ कर रही है.
पूछताछ के दौरान कई बड़े खुलासे हुए हैं. अधिकारिक सूत्रों ने कहा कि जेइइ मेन में स्टूडेंट्स को बेहतर रैंकिंग दिलाने के नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही थी. इस गिरोह से मदद लेने वालों में बिहार, झारखंड, यूपी, मध्यप्रदेश के साथ अन्य राज्यों के 150 से अधिक स्टूडेंट्स शामिल हैं. बिहार-झारखंड के 30 से 40 स्टूडेंट्स ने इस गिरोह की मदद ली है. इन सभी स्टूडेंट्स की उम्मीदवारी रद्द कर दी जायेगी.
जेइइ मेन में सोनीपत, जमशेदपुर, दिल्ली-एनसीआर, पुणे, इंदौर और बेंगलुरु के अलावा किन-किन परीक्षा केंद्रों पर कौन-कौन से छात्र इस गिरोह से मदद लेकर परीक्षा दे रहे थे, इसकी जांच जारी है. इसके साथ ही यह पता लगाया जा रहा है कि जेइइ मेन के अलावा अन्य किस-किस परीक्षा में इस गिरोह ने काम किया है और स्टूडेंट्स से पैसे लेकर किस तरह से उन्हें मदद पहुंचायी थी.
जमशेदपुर से गिरफ्तार रणजीत सिंह ठाकुर गिरोह के लिए साल्वर का इंतजाम करता था. दिल्ली से गिरफ्तार सिद्धार्थ कृष्णा, विश्वंभर मणि त्रिपाठी और रितिक सिंह को दिल्ली की विशेष सीबीआइ अदालत में पेश किया गया, जहां अदालत ने तीनों को नौ सितंबर तक सीबीआइ की हिरासत में भेज दिया है.
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के सूत्रों ने कहा कि कोटा की तरह ही अन्य कुछ शहरों को भी ब्लैकलिस्ट करने की तैयारी की जा रही है. यानी ऐसे शहरों में एनटीए कोई परीक्षा नहीं लेगी. कुछ संदिग्ध सेंटरों की पहचान हो गयी है. इन सेंटरों को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया है. एनटीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जांच और पूछताछ अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन जिस तरह से संकेत मिल रहे हैं, उससे इस गिरोह के तार कई राज्यों से जुड़े हुए हैं.
कई और सेंटर शक के दायरे में हैं. कई और राज्यों के परीक्षा केंद्रों के भी धांधली में शामिल होने की आशंका बढ़ गयी है. बड़े-बड़े कोचिंग संस्थान भी सीबीआइ के रडार पर हैं. राजस्थान, बिहार, यूपी, दिल्ली, मुंबई, मध्यप्रदेश के कई कोचिंग संस्थान भी जांच के दायरे में हैं.
सूत्रों ने कहा कि कोचिंग संस्थान ही गिरोह को स्टूडेंट्स देते थे. गिरोह के सदस्य परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के डॉक्यूमेंट्स अपने पास रख लेते हैं. इन डॉक्यूमेंट्स में 10वीं और 12वीं के ऑरिजनल अंकपत्र और सर्टिफिकेट्स शामिल हैं. परीक्षा में शामिल होने से पहले छात्रों से पोस्टडेटेड चेक लिया जाता था.
यह गिरोह चुने हुए परीक्षा केंद्र से रिमोट एक्सेस के माध्यम से आवेदक के प्रश्नपत्र को हल करता है. इच्छुक छात्रों से सुरक्षा के रूप में 10वीं और 12वीं कक्षा की अंक तालिका, यूजर आइडी, पासवर्ड और बाद की तिथि के चेक लेते थे और एक बार प्रवेश हो जाने के बाद देश भर में हर उम्मीदवार से 12 से 15 लाख रुपये तक की रकम वसूल करते थे.
शुरुआती जांच में पता चला है कि एफिनिटी एजुकेशन के निदेशक जेइइ मेन में स्टूडेंट्स को बेहतर रैंकिंग दिलाने का गिरोह चला रहे थे. यह गिरोह अलग-अलग राज्यों से परीक्षा फॉर्म खुद भरवाता था. इसमें शामिल स्टूडेंट्स के फॉर्म अलग-अलग राज्यों से भरवाये गये थे. इनके फॉर्म गिरोह के एक्सपर्ट खुद भरते थे.
सेंटर भी इनके मनचाहे स्थान पर मिल जाता था. गिरोह फॉर्म भरने के साथ-साथ सेंटर भी तय कर लेता था. एक्सपर्ट बताते हैं कि एडमिट कार्ड जारी होने तक में ये लोग सिस्टम में सेंध लगा कर सेंटर तक बदलवा लेते थे.
Posted by Ashish Jha