सोन नहर में पानी नहीं आने से किसान चिंतित

परेशानी. फिटर से बिचड़ा तैयार करना पड़ेगा कलेर : रोहिणी नक्षत्र बीत जाने के बाद भी मुख्य सोन नहर में पानी नहीं आने से किसान चिंतित हैं. वे पानी के लिए टकटकी लगाये हुए हैं. गौरतलब हो कि मुख्य सोन नहर खगौल पटना लाइन से अन्य जिलों के अलावा अरवल जिले के अधिकारी भू-भाग सिंचित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 11, 2017 11:47 PM

परेशानी. फिटर से बिचड़ा तैयार करना पड़ेगा

कलेर : रोहिणी नक्षत्र बीत जाने के बाद भी मुख्य सोन नहर में पानी नहीं आने से किसान चिंतित हैं. वे पानी के लिए टकटकी लगाये हुए हैं. गौरतलब हो कि मुख्य सोन नहर खगौल पटना लाइन से अन्य जिलों के अलावा अरवल जिले के अधिकारी भू-भाग सिंचित होता है. इसके कारण अरवल की पहचान बिहार में की जाती है, लेकिन वह तब जब समय से सिंचाई की व्यवस्था हो.
सिंचाई की बेहतर व्यवस्था होने से किसान रोहिणी नक्षत्र में ही बिचड़ा डाल देते हैं. किसान बताते हैं कि इस नक्षत्र में जो धान का बिचड़ा तैयार होता है वह ज्यादा उपज देनेवाला होता है. साथ ही इन पौधों में कीट-पतंग का प्रभाव भी कम होता है. लेकिन, जो बिचड़ा रोहण में तैयार नहीं होता है वे समय से पकते नहीं है जिससे दूसरी फसल भी समय पर तैयार नहीं होती और किसान को एक ही फसल पर संतोष करना होता है. किसानों की मानें तो दो-चार दिन नहर में पानी की यही स्थिति रही,
तो हमलोगों को पंपसेट या फिटर से बिचड़ा तैयार करना पड़ेगा जिसमें खर्च भी ज्यादा होगा. इससे किसानों के दर्द को समझा जा सकता है कि खेती में रोहण नक्षत्र का क्या महत्व है. वर्तमान नक्षत्र में भी किसान अगर धान का बिचड़ा डाल देते हैं तो कुछ हद तक भरपाई हो सकती है.
अजय बिगहा में अब तक नहीं पहुंची बिजली : रतनी. प्रखंड क्षेत्र के लाखापुर पंचायत के अंतर्गत अजय बिगहा गांव में अब तक बिजली नहीं पहुंचने के कारण ग्रामीण अंधेरे में रहने को विवश हैं.
लगभग सौ घर की आबादी वाले इस गांव में बिजली नहीं रहने से खासकर बच्चों के पठन-पाठन को लेकर काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ता है. बिजली के लिए ग्रामीणों द्वारा कई बार विभाग का चक्कर लगाया गया है लेकिन बार- बार सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा. परिणाम है कि अब तक गांव में बिजली नही आयी है. पंचायत के मुखिया सह ग्रामीण मंजू देवी बताती हैं कि बिजली की समस्या को लेकर कई बार वरीय पदाधिकारियों से भी गुहार लगायी गयी है लेकिन समस्या जस की तस बनी है. जबकि गांव के आसपास बिजली जलती है लेकिन इस गांव में शाम ढलते ही अंधेरा छा जाता है. और ग्रामीण आज भी लालटेन युग में जीने को विवश हैं.

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