जहानाबाद : सन 1904 में जन्मे छतियाना गांव निवासी अवध सिंह आजादी के बाद अपनी पंचायत के पहले मुखिया बने. पंचायती राज व्यवस्था के तहत चीजें बदलती गयीं, मुखिया जी भी बदल गये मगर अवध बाबू के सेवा भाव में कोई बदलाव नहीं आया. 113 वर्षीय भूतपूर्व मुखिया जी की सक्रियता उम्र के इस पड़ाव में भी एक मिसाल है.
गांव के दालान में आज भी हर रोज चौपाल लगाते हैं. पूरी तरह स्वस्थ अवध बाबू आज भी गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करते थकते नहीं. बातचीत के क्रम में कहा कि जब हमारा जन्म हुआ था तो देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा था. अंगरेजों के दमन से लोग परेशान थे. आंदोलन की आंच हर जगह फैली थी. उस समय समाज में वर्ग विभेद और नफरत का भाव नहीं था. हर कोई एक-दूसरे की मदद को आगे दौड़ पड़ता था. उस जमाने को करीब से देखने के कारण आज भी मैं सभी से उसी तरह बरताव करता हूं और बीते जमाने की चर्चा नई पीढ़ी से करना नहीं भूलता. स्वतंत्रता आंदोलन में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया.
राष्ट्र सृजन अभियान के प्रेरणा स्रोत रहे स्वतंत्रता सेनानी रामविलास बाबू को अपना आदर्श मानते हुए कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई में भी अंगरेजों के खिलाफ लोहा लिया. गांव, पंचायत ही नहीं जिले के विकास के लिए भी तत्पर रहे. जहानाबाद में बिजली लाने में इनका ही योगदान रहा. सामाजिक जिम्मेवारियों के अलावा पारिवारिक जिम्मेवारियों को भी बखूबी निभाया. इनके दोनों पुत्र महेंद्र शर्मा और जयनारायण शर्मा भी सामाजिक क्षेत्र से जुड़े हैं. अपनी असाधारण सामाजिक क्षमताओं के लिए मुखिया जी को कई बार जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित भी किया गया है. गांव के लोगों ने ईश्वर से उनकी लंबी उम्र की कामना करते हुए कहा कि आज भी हमलोग उन्हें प्रेम से मुखिया जी ही कहते हैं. समाज को दिशा देते हुए लंबी उम्र का एक वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाया. लोग उन्हें पंचायत का विकास पुरुष भी कहते हैं. अपने जमाने में गांव में स्कूल, हॉस्पिटल और गरीबों के उत्थान के लिए पक्के मकान का निर्माण कराया. शुद्ध पेयजल के लिए कई चापाकल भी लगवाया. मुखिया जी की कार्यशैली और सेवा भाव की चर्चा करते आज भी लोग नहीं अघाते.