बालू की कमी से कई योजनाएं बंद

आरोप. जिले में लोगों की परेशानी बढ़ी, वाहन मालिकों के ठप पड़े हैं रोजगार मकान-दुकान का निर्माण काम भी ठप मजदूरों के समक्ष रोजी रोटी की समस्या उभरी जहानाबाद : सरकार के आदेश पर जिला प्रशासन के द्वारा बालू के अवैध खनन पर लगायी गयी रोक और अब जहानाबाद के एक बंदोबस्ती धारी वंशीधर कंस्ट्रक्शन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 26, 2017 5:54 AM

आरोप. जिले में लोगों की परेशानी बढ़ी, वाहन मालिकों के ठप पड़े हैं रोजगार

मकान-दुकान का निर्माण काम भी ठप
मजदूरों के समक्ष रोजी रोटी की समस्या उभरी
जहानाबाद : सरकार के आदेश पर जिला प्रशासन के द्वारा बालू के अवैध खनन पर लगायी गयी रोक और अब जहानाबाद के एक बंदोबस्ती धारी वंशीधर कंस्ट्रक्शन की बंदोबस्ती रद्द कर क्येए जाने के बाद बालू का संकट जिले में गहरा गया है. इस कारण शहरी व ग्रामीण इलाके में न सिर्फ आम लोगों के मकान दुकान या छोटे मॉल बनाने का काम बंद है बल्कि विकास से संबंधित योजनाओं का क्रियान्वयन भी ठप पड़ गया है. उल्लेखनीय है कि निविदा की शर्तों का पालन नहीं करने और पर्यावरणीय स्वीकृति के बगैर नदी घाटों से बालू के अवैध खनन पर रोक लगी हुई है. ऐसी हालत में बालू का घोर अभाव हो गया है.
स्थिति यह है कि अब ऊंची कीमत देने पर भी बालू उपलब्ध नहीं हो रहा है . अवैध खनन पर रोक लगाने के बाद कुछ व्यवसायियों ने पूर्व में भंडारण किये गये बालू की बिक्री बड़ी राशि लेकर की थी लेकिन अब पुराना स्टॉक भी खत्म हो गया है. बतीस भवंरिया पुल के समीप ट्रैक्टरों पर लगने वाले बालू बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ है. बालू उपलब्ध नहीं रहने के कारण नगर पर्षद के विभिन्न वार्डों में पूर्व में स्वीकृत पुरानी योजनाओं का काम बंद है. मुख्यमंत्री शहरी विकास योजना के अलावा त्रिस्तरीय पंचायत स्तर से होने वाले विकास कार्य भी ठप पड़े हैं.
बेरोजगार हो गये दैनिक मजदूर व कई वाहन मालिक:इस जिले में हजारों की संख्या में ऐसे लोग हैं जिनकी जीविका का साधन ट्रैक्टर ,ट्रक और पिकअप वैन है. इन वाहनों पर बालू लादकर उसकी बिक्री की जाती रही है. ट्रकों पर बालू लादकर उसे बिहार के विभिन्न जिलों में ले जाकर बेचा जाता था .लेकिन बालू का उठाव बंद हो जाने से वाहन मालिकों का धंधा मंद पड़ गया है. इसके साथ ही बड़ी संख्या में दैनिक मजदूर बेकार हो गये हैं. बालू नहीं रहने से उन्हें काम नहीं मिल रहा है. मजदूरों को भवन निर्माण में प्रयुक्त होने वाले ईंट, सीमेंट ,छड़ की ढुलाई का काम भी नहीं मिल रहा है चूंकि जब बालू ही नहीं है तो निर्माण काम कैसे होगा. अरवल मोड़, आंबेडकर चौक और सट्टी मोड़ पर पहले दैनिक मजदूरों की भीड़ से गुलजार रहता था जिसमें भारी कमी आई है. रोज कमाई कर अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले मजदूर काम की तलाश में जहानाबाद शहर में आते हैं लेकिन निराश होकर वापस लौट जा रहे हैं.
व्यवसायी भी रो रहे बालू का रोना: शहर में छड़ ,सीमेंट, स्टोन चिप्स की कई दुकानें संचालित है ,जहां उक्त सामान की बिक्री नहीं के बराबर है. निर्माण से संबंधित सामान की बिक्री करने वाले व्यवसायी कहते हैं कि एक तो की बरसात की मार और उस पर बालू का घोर अभाव होने से उनका धंधा चौपट हो गया है. दुकानों में रखे सीमेंट पर बरसात का असर हो रहा है . खपत नहीं होने से सीमेंट खराब हो रहा है. व्यवसायियों के अलावा भवन निर्माण करने वाले लोग और विकास योजनाओं का क्रियान्वयन करने वाले संवेदकों ने सरकार से अनुरोध किया है कि बालू के संबंध में कोई ठोस निर्णय लें . बालू घाटों की बंदोबस्ती कराने में सरकार रुचि ले ताकि संकट से लोगों को निजात मिल सके.

Next Article

Exit mobile version