डॉक्टरों की कमी से अस्पताल प्रशासन को परेशानी

जहानाबाद नगर : जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर ढंग से मरीजों तक पहुंचाने में चिकित्सकों की कमी के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जिले में सदर अस्पताल के अलावे दो रेफरल अस्पताल, सात पीएचसी , 39 एडीसनल पीएचसी तथा 266 स्वास्थ्य उपकेंद्र संचालित हैं जबकि स्थायी तथा नियोजित सभी चिकित्सकों की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 7, 2017 4:43 AM

जहानाबाद नगर : जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर ढंग से मरीजों तक पहुंचाने में चिकित्सकों की कमी के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जिले में सदर अस्पताल के अलावे दो रेफरल अस्पताल, सात पीएचसी , 39 एडीसनल पीएचसी तथा 266 स्वास्थ्य उपकेंद्र संचालित हैं जबकि स्थायी तथा नियोजित सभी चिकित्सकों की संख्या करीब 100 है. ऐसे में चिकित्सकों की कमी के कारण सभी अस्पतालों में चिकित्सक की व्यवस्था कर पाना संभव नहीं हो पा रहा है.

सदर अस्पताल जो कि जिले का सबसे बड़ा अस्पताल है. यहां प्रतिदिन करीब 1000 मरीजों का इलाज होता है. इनमें सात सौ से अधिक मरीज सिर्फ ओपीडी में अपना इलाज कराने आते है. यहां नियुक्त कई चिकित्सकों को बाढ़ पीड़ितों की सहायता तथा पितृपक्ष मेला में प्रतिनियुक्त किया गया है. जबकि एक चिकित्सक पूर्व से ही हज यात्रियों के इलाज के लिए मक्का-मदीना प्रतिनियुक्ति पर गये हुए है. ऐसे में चिकित्सकों की कमी सभी सेवाओं का समुचित रूप से संचालन में परेशानी का कारण बन रहा है.

विशेषकर महिला चिकित्सकों का अभाव अस्पताल प्रशासन को और भी परेशान कर दिया है. कई बार तो चिकित्सक नहीं रहने के कारण हंगामे की स्थिति बन जाती है. ऐसे में सदर अस्पताल से चिकित्सकों को बाढ़ पीड़ित इलाके तथा पितृपक्ष मेला में प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाने के बाद और भी परेशानी बढ़ने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है. जिले के आठ चिकित्सकों को पूर्व से ही बाढ़ पीड़ित इलाके अररिया तथा अन्य जिलों में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया है. जबकि दस अन्य चिकित्सकों को गया में आयोजित पितृपक्ष मेला में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया है. ऐसे में अस्पताल में चिकित्सकों की कमी होना लाजमी है.

ओपीडी तथा ओटी चलाना हो रहा मुश्किल:सदर अस्पताल में पदस्थापित कई चिकित्सकों के प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाने के कारण अस्पताल को बेहतर ढंग से चलाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. चिकित्सकों की कमी का प्रभाव ओपीडी पर भी पड़ रहा है. ओपीडी में सभी विभागों के चिकित्सक अलग-अलग कक्ष में बैठ कर मरीजों का इलाज करते थे लेकिन चिकित्सकों की संख्या सीमित हो जाने के बाद अब एक भी कक्ष सभी मर्ज का इलाज हो रहा है. वहीं दूसरी तरफ ओटी संचालन में भी परेशानी होने लगा है. विशेषकर सिजेरियन ऑपरेशन न के बराबर हो गया है.
महिला चिकित्सकों की कमी से प्रसव वार्ड भी प्रभावित होने लगा है.
सुविधा के िलए प्रयास जारी
कई चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति पितृपक्ष मेला तथा बाढ़ प्रभावित इलाके में किया गया है. जिसके कारण थोड़ी परेशानी हो रही है. हालांकि जो चिकित्सक उपलब्ध है. उनसे मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है.
डॉ ब्रजभूषण प्रसाद

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