11 महिला डॉक्टरों के भरोसे जिले की आधी आबादी

कुव्यवस्था : चिकित्सकों के स्वीकृत कुल 238 पदों के बदले महज 96 हैं बहाल जहानाबाद (नगर) : जिले में महिला चिकित्सकों की कमी के कारण आधी आबादी को उपचार के लिए लाचार होना पड़ रहा है. ऐसे में उन्हें पुरुष चिकित्सक से ही अपने मर्ज का इलाज कराने को विवश होना पड़ रहा है. महिला […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 20, 2017 12:31 AM
कुव्यवस्था : चिकित्सकों के स्वीकृत कुल 238 पदों के बदले महज 96 हैं बहाल
जहानाबाद (नगर) : जिले में महिला चिकित्सकों की कमी के कारण आधी आबादी को उपचार के लिए लाचार होना पड़ रहा है. ऐसे में उन्हें पुरुष चिकित्सक से ही अपने मर्ज का इलाज कराने को विवश होना पड़ रहा है.
महिला चिकित्सकों की कमी का खामियाजा मुख्य रूप से प्रसुता तथा बंध्याकरण कराने वाले मरीजों को उठाना पड़ता है. जिले में स्थायी चिकित्सकों का 193 पद स्वीकृत है. इन पदों पर मात्र 85 चिकित्सक ही उपलब्ध हैं. इनमें मात्र नौ महिला चिकित्सक है.
जबकि निविदा पर बहाल होने वाले चिकित्सकों के लिए 45 पद स्वीकृत है. इन पदों पर मात्र 11 चिकित्सक ही कार्यरत है इनमें एक भी महिला चिकित्सक नहीं हैं. ऐसे में महिला चिकित्सकों की घोर कमी का खामियाजा आधी आबादी को उठाना पड़ रहा है. जिले के सदर अस्पताल में चार, रेफरल अस्पताल में चार तथा मात्र दो पीएचसी में महिला चिकित्सक कार्यरत हैं. जबकि जिले में एक सदर अस्पताल, दो रेफरल अस्पताल, सात पीएचसी, 39 एपीएचसी तथा 266 स्वास्थ्य उपकेंद्र संचालित है.
ऐसे में अधिकांश अस्पतालों में महिला चिकित्सक नहीं रहने के कारण आधी आबादी को अपनी मर्ज का इलाज कराने पुरुष चिकित्सक के पास ही जाना पड़ता है. सदर अस्पताल जो कि जिले का सबसे बड़ा अस्पताल है. यहां प्रतिदिन करीब 1000 की संख्या में मरीज इंनडोर तथा आउटडोर में इलाज कराने पहुंचते हैं. इनमें महिला मरीजों की संख्या काफी अधिक होती है. कुछ महिला मरीज जो कि सामान्य या मौसमी बीमारी से पीड़ित होते हैं वे पुरुष चिकित्सक से अपने मर्ज का इलाज करा लेते हैं. लेकिन जो महिलाओं से संबंधित बीमारी से पीड़ित होते हैं वे महिला चिकित्सक से ही इलाज कराना चाहते हैं.ऐसे में उन्हे या तो काफी देर तक इंतजार करना पड़ता है या फिर दूसरे दिन भी इलाज के लिए आने को मजबूर होना पड़ता है.
ऑन कॉल आती है महिला चिकित्सक
सदर अस्पताल में दिन में तो महिला चिकित्सक से भेंट हो जाता है लेकिन रात्रि में महिला चिकित्सकों का घंटों इंतजार करना पड़ता है. एक तो महिला चिकित्सकों की कमी वहीं दूसरी तरफ रात्रि में ऑन कॉल आने की व्यवस्था होने के कारण मरीजों को घंटों महिला चिकित्सक के इंतजार में तड़पते हुए बिताना पड़ता है. कई बार तो महिला चिकित्सक कॉल रिसीव नहीं कर पाती हैं. ऐसे में महिला मरीजों को एएनएम से ही इलाज कराना पड़ता है.
महिला डॉक्टरों की कमी
जिले में महिला चिकित्सकों की कमी है. जितने महिला चिकित्सक उपलब्ध हैं उनके सहारे बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है.
अनवर आलम, डीपीएम
जांच की भी नहीं है समुचित व्यवस्था
आउट सोर्सिंग के तहत मरीजों को मिलने वाली जांच की सुविधाएं भी बंद होने लगी है. सदर अस्पताल में बीते एक अप्रैल से एक्सरे की सेवा बंद पड़ा है. भुगतान के अभाव में एक्सरे की सुविधा बंद है जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. वहीं आउट सोर्सिंग के तहत संचालित पैथोलॉजी लैब भी बंद हो गया है.
अस्पताल द्वारा संचालित पैथोलॉजी लैब में मरीजों की भारी भीड़ होने के कारण समय पर जांच नहीं हो पाता है .ऐसे में मरीज समुचित इलाज कराने से वंचित रह जाते हैं.

Next Article

Exit mobile version