जमुने तट पर मासूम बेटा ने पिता और चाचा को दी मुखाग्नि

जहानाबाद : मिश्रबिगहा में सोमवार की रात पांच भाइयों का अपहरण कर दो की हत्या करने के बाद गांव बुधवार को भी दहशत का माहौल रहा. गांव के लोग हल्की सी आहट भी सहम जा रहे हैं़ दो भाइयों की तो मौत हो गयी और तीन भाई अब भी जीवन और मौत से जूझ रहे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 14, 2017 5:53 AM

जहानाबाद : मिश्रबिगहा में सोमवार की रात पांच भाइयों का अपहरण कर दो की हत्या करने के बाद गांव बुधवार को भी दहशत का माहौल रहा. गांव के लोग हल्की सी आहट भी सहम जा रहे हैं़ दो भाइयों की तो मौत हो गयी और तीन भाई अब भी जीवन और मौत से जूझ रहे हैं. गांव में इस कदर दहशत का माहौल है कि लोग मुंह क्या, घर के दरवाजे भी खोलने से डर रहे हैं. लोगों का पुलिस पर भी विश्वास नहीं है. इधर, पुलिस इस घटना को अंजाम देनेवाले गिरोह के सरगना गेहूंमन यादव को पकड़ने के लिए छापेमारी का दावा कर रही है, जबकि वह आसपास के इलाके में ही अड्डा जमाये हुए है. मंगलवार की रात 10:30 से 11:00 बजे के बीच वह अपने गुर्गों के साथ मिश्रबिगहा स्थित अपने घर आया और वहां रखे कुछ सामान व भैंस लेकर गया.

ग्रामीण बताते हैं कि उसके साथ तीन अन्य अपराधी भी थे. अपने ही गांव में आतंक मचाने वाले गेहूंमन यादव और उसके गिरोह के फिर से हमला किये जाने का डर लोगों को सता रहा है. ऐसी चिंता खासकर उन लोगों को भयभीत किये हुए है, जो मृतक वीरेंद्र यादव और राजू यादव के गोतिया परिवार के हैं. इसी परिवार की एक महिला का घर गेहूंमन यादव के घर के समीप है. मंगलवार की रात उक्त कुख्यात अपराधी को देखकर वह अपने पूरे परिवार के साथ डर गयी. उसे ऐसा लगा कि कहीं उसके घर पर तो हमला नहीं होगा. महिला बताती हैं कि इसकी सूचना मिश्रबिगहा में कैंप कर रही पुलिस को भी दी गयी थी लेकिन पुलिस ने इसे उस वक्त गंभीरता से नहीं लिया.
वहां जाने में काफी देर की. तब तक गेहूंमन अपनी भैंस और सामान लेकर गांव के पूरब अंधेरे में गुम हो गया. इस स्थिति से गोतिया परिवार का पुलिस से विश्वास उठ गया है. वे दोबारा हमले की आशंका से डरे-सहमे है. मृतकों के गोतिया जनों का कहना है कि सोमवार की रात हमले के दौरान गोलियां चलाते अपराधियों ने धमकी दी थी. चिल्ला-चिल्ला कर कहा था कि जिसने भी वीरेंद्र और उसके परिवार के प्रति सहानुभूति दिखाई, उसे भी अंजाम भुगतना होगा. इससे लोगों में भय बना हुआ है़
हमले में मारे गये वीरेंद्र और राजू के शव मंगलवार की शाम करीब 04:30 बजे पटना से गांव में लाये गये. शव पहुंचते ही महिलाओं और बच्चों के चीखने-चिल्लाने से माहौल गमगीन हो गया. प्रशासन से मुआवजा मिलने की उम्मीद के साथ पीड़ित परिवारों ने शाम में शव का दाह-संस्कार नहीं किया. रात भर शव गांव में ही पड़ा रहा. सहायता के नाम पर प्रशासन की ओर से पारिवारिक लाभ योजना के तहत 20-20 हजार और मुखिया की ओर से कबीर अंत्येष्टि योजना के तहत तीन-तीन हजार रुपये दिये गये हैं.
लोगों का कहना है कि इतनी कम राशि से श्राद्धकर्म भी करना मुश्किल होगा. जीवन कैसे चलेगा, यह तो भगवान ही जानें. मंगलवार सुबह करीब नौ बजे जमुने नदी के तट पर दोनों भाइयों का अंतिम संस्कार किया गया. मृतक वीरेंद्र यादव के सात वर्षीय पुत्र संतोष और राजू यादव के पांच वर्षीय पुत्र अंकुश ने अपने-अपने पिता को मुखाग्नि दी. नदी घाट पर मौजूद लोगों की आंखें उक्त दृश्य को देखकर छलक पड़ीं.

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