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एंबुलेंस चालकों की मनमानी मरीजों पर पड़ रही भारी

भुगतान करता है जिला, मॉनीटरिंग का नहीं है अधिकार जहानाबाद नगर : सदर अस्पताल में संचालित 102 एंबुलेंस सेवा अस्पताल प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. उक्त एंबुलेंस सेवा के लिए भुगतान तो जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा किया जाता है लेकिन जिला स्वास्थ्य समिति को इसकी मॉनीटरिंग का अधिकार नहीं है. ऐसे […]

भुगतान करता है जिला, मॉनीटरिंग का नहीं है अधिकार

जहानाबाद नगर : सदर अस्पताल में संचालित 102 एंबुलेंस सेवा अस्पताल प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. उक्त एंबुलेंस सेवा के लिए भुगतान तो जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा किया जाता है लेकिन जिला स्वास्थ्य समिति को इसकी मॉनीटरिंग का अधिकार नहीं है. ऐसे में एंबुलेंसचालक अपनी मनमर्जी से इसका संचालन करते हैं. कई बार तो इमरजेंसी मरीज को रेफर करने के लिए अस्पताल प्रशासन एंबुलेंस को ढूंढ़ता रह जाता है लेकिन एंबुलेंस नहीं मिल पाती. ऐसे में अस्पताल में हंगामा बरपाया जाता है. सदर अस्पताल में सम्मान फाउंडेशन के तहत 102 एवं 1099 एंबुलेंस का संचालन कराया जाता है.
102 एंबुलेंस की सेवा नि:शुल्क मिलती है, जबकि 1099 की सेवा सिर्फ बीपीएल परिवार को ही नि:शुल्क मिलती है, जबकि अन्य मरीजों को इसका चार्ज देना होता है. ऐसे में अस्पताल से रेफर मरीज 102 एंबुलेंस की ही सेवा लेना चाहते हैं, लेकिन समय पर उन्हें इसकी सेवा नहीं मिल पाती है. सदर अस्पताल में वर्तमान में छह एंबुलेंस का संचालन हो रहा है, जिसमें तीन 102 एंबुलेंस, एक 1099 तथा दो आईएपी के तहत प्राप्त एंबुलेंस का संचालन हो रहा है. आईएपी के तहत प्राप्त एंबुलेंस का संचालन अस्पताल प्रशासन की देखरेख में कराया जाता है, लेकिन इसके लिए 105 रुपये के साथ फ्यूल का चार्ज लिया जाता है. यह चार्ज आने-जाने दोनों के लिए लिया जाता है. ऐसे में इस एंबुलेंस की सेवा काफी महंगी होती है इस कारण मरीज इसकी सेवा नहीं लेना चाहते.
कॉल सेंटर नहीं रिसीव करता फोन :102 एंबुलेंस की सेवा के लिए पटना में कॉल सेंटर का संचालन हो रहा है. जब भी कोई मरीज इसकी सेवा के लिए कॉल सेंटर में फोन करता है तब फोन लगता ही नहीं या फोन लगने पर भी फोन कोई रिसीव नहीं किया जाता है. ऐसे में मरीज फोन लगाता रह जाता है, लेकिन उसे एंबुलेंस की सेवा नहीं मिल पाती है. कुछ ऐसा ही हाल 1099 का भी है. 102 एंबुलेंस अधिकांशत: डिलिवरी मरीजों को लाने-ले जाने में ही लगी रहती है. इसका लाभ दुर्घटनाग्रस्त या गंभीर रूप से बीमार मरीजों को नहीं मिल पाता है. ऐसे में कई बार एंबुलेंस नहीं मिलने पर अस्पताल में हंगामा हो चुका है.
अस्पताल प्रशासन को मॉनीटरिंग का नहीं है अधिकार :102 एवं 1099 एंबुलेंस के संचालन की मॉनीटरिंग अस्पताल प्रशासन नहीं कर पाता है. ये एंबुलेंस कॉल सेंटर के आधार पर ही मरीज को लाने-ले जाने में लगी रहती है. अस्पताल प्रशासन को पता ही नहीं रहता है कि कौन सी एंबुलेंस अस्पताल में है या नहीं. एंबुलेंस चालक द्वारा भी इसकी जानकारी अस्पताल प्रशासन को नहीं दी जाती है. जबकि वाहन ऑन रोड होने या गाड़ी खराब होने पर इसकी जानकारी अस्पताल प्रशासन को देनी होती है, लेकिन चालक द्वारा इसकी जानकारी नहीं दी जाती. ऐसे में एंबुलेंस का भुगतान तो जिला स्वास्थ्य समिति करता है लेकिन उसका मॉनीटरिंग नहीं कर पाता है.
लाखों रुपये का होता है भुगतान
102 एंबुलेंस को प्रति माह 92 हजार रुपये का भुगतान जिला स्वास्थ्य समिति से किया जाता है, जबकि 1099 एंबुलेंस को एक लाख दो हजार रुपये का भुगतान प्रति माह किया जाता है. वहीं आईएपी के तहत संचालित एंबुलेंस के लिए अस्पताल प्रशासन द्वारा कोई भुगतान नहीं किया जाता है बल्कि जो मरीज इस एंबुलेंस की सेवा लेते हैं उन्हें 105 रुपये के साथ फ्यूल का चार्ज देना होता है. 105 रुपये रोगी कल्याण समिति के खाते में जमा हो जाता है. ऐसे में जिले से एंबुलेंस सेवा के लिए प्रति माह तीन लाख 78 हजार रुपये खर्च किया जाता है लेकिन इसका समुचित लाभ मरीजों को नहीं मिल पाता है.
मॉनीटरिंग का अधिकार नहीं
102 एंबुलेंस संचालन के बारे में कोई स्पष्ट पता ही नहीं चलता कि कौन सी गाड़ी कब-कहां है. जब जरूरत पड़ती है और पता कराया जाता है तब गाड़ी उपलब्ध नहीं रहती है. विगत माह एक 102 एंबुलेंस से मात्र 21 कॉल रिसीव किया गया है.
कुणाल भारती, अस्पताल प्रबंधक

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