एनआईए की टीम फिर पहुंची संदिग्धों के कमरे में की जांच

बम कांड कुतवनचक को सेफ जोन समझकर पनाह ली थी जहानाबाद : बोधगया के महाबोधि मंदिर के समीप आईईडी बम मामले की तफ्तीश में जुटी एनआईए की टीम ने मंगलवार को एक बार फिर शहर पहुंचकर जांच-पड़ताल की. शहर के कुतवनचक में करीब एक माह तक रहे फेरी लगानेवाले पांच बांग्लादेशी युवकों की करतूत से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 7, 2018 5:49 AM

बम कांड कुतवनचक को सेफ जोन समझकर पनाह ली थी

जहानाबाद : बोधगया के महाबोधि मंदिर के समीप आईईडी बम मामले की तफ्तीश में जुटी एनआईए की टीम ने मंगलवार को एक बार फिर शहर पहुंचकर जांच-पड़ताल की. शहर के कुतवनचक में करीब एक माह तक रहे फेरी लगानेवाले पांच बांग्लादेशी युवकों की करतूत से जहानाबाद सुर्खियों में है. एनआईए के टीम की तफ्तीश हर रोज तेजी से आगे बढ़ रही है. जैसे-जैसे साक्ष्य मिल रहे, अनुसंधान भी उसी अनुरूप आगे बढ़ रहा. एनआईए की टीम के साथ नगर कोतवाल भी मौजूद थे.
जांच टीम ने फिर से उस घर को बारीकी से खंगाला, जहां इन पांच बांग्लादेशी युवकों ने पनाह ले रखी थी. पांचों वक्त के नमाजी रहे इन पांचों युवकों ने शातिराना अंदाज में शहर के कुतवनचक को सेफ जोन समझकर पनाह ली और अपने उम्र के युवकों से नजदीकियां बढ़ाकर अपने मिशन को अंजाम देते रहे. इन युवकों ने खुद की तस्वीर शहर के साथियों के साथ कभी भी शेयर नहीं किया. जहानाबाद से बोधगया तक अपना नेटवर्क फैलाये इन युवकों की मंशा पर भले ही पानी फिर गया हो लेकिन इरादा खतरनाक था. भगवान बुद्ध की धरती को अपने धमाके से धमकाने की साजिश में विफल रहे सभी युवक बांग्लादेशी थे, जिनका कनेक्शन कहीं न कहीं से स्थानीय युवकों से भी जुड़ा है.
पुलिस परिचय पत्र को भी फर्जी ही मान जांच को आगे बढ़ा रही है
पहले कुतवनचक मोहल्ले के एक व्यक्ति का कमरा तीन हजार रुपये में किराये पर लिया. परिचय-पत्र भी दिया. इन लोगों ने अजीत शेख और मेहर शेख के नाम का पहचान-पत्र बना रखा था, जिसमें कूच बिहार, मालदा, पश्चिम बंगाल का पता लिखा था. हालांकि पुलिस परिचय-पत्र को भी फर्जी ही मान जांच को आगे बढ़ा रही है. साथ ही साथ उन दोनों युवकों से भी एक बार फिर से पूछताछ की गयी है, जिन्हें चंद दिनों पूर्व ही शक के आधार पर हिरासत में लिया गया था. बोधगया में बम धमाका करने आये इन युवकों ने पहले तो धर्म का वास्ता देकर मस्जिद में ही पनाह लेने की कोशिश की थी लेकिन जब मस्जिद कमेटी ने इन्कार कर दिया तो किराये पर कमरा लिया.

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